नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी है। केंद्र सरकार (Central Government) ने कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न (Bharat Ratna) देने का एलान किया है। राहुल ने केंद्र सरकार (Central Government) के इस फैसले का स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्र सरकार पर तंज भी कसा है।
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कर्पूरी ठाकुर को राहुल ने दी श्रद्धांजलि
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि सामाजिक न्याय के अप्रतिम योद्धा जननायक कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) जी को उनकी जन्म शताब्दी पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वह निश्चित ही भारत के अनमोल रत्न हैं और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न (Bharat Ratna) दिए जाने के फैसले का स्वागत है। 2011 में हुई सामाजिक और आर्थिक जातीय जनगणना के नतीजों को भाजपा सरकार द्वारा छिपाना और राष्ट्रव्यापी जनगणना के प्रति उनकी उदासीनता सामाजिक न्याय के आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास है।’
सामाजिक न्याय के अप्रतिम योद्धा जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी जन्म शताब्दी पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वह निश्चित ही भारत के अनमोल रत्न हैं और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने के फैसले का स्वागत है।
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— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 24, 2024
देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए: राहुल गांधी
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि ‘भागीदारी न्याय‘ भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) के पांच न्यायों में से एक प्रमुख न्याय और सामाजिक समानता का केंद्र बिंदु है, जिसकी शुरुआत सिर्फ जातिगत जनगणना के बाद ही हो सकती है। सही मायने में यही कदम जननायक कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) जी और पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों के लिए उनके संघर्षों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगा। देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए।’
जानें कौन थे कर्पूरी ठाकुर?
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बता दें कि कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे थे। उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था। उनकी पहचान एक स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ के रूप में रही है। चुनावी विश्लेषकों की मानें तो कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को बिहार की राजनीति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 1988 में कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) का निधन हो गया था, लेकिन इतने साल बाद भी वो बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं।