नई दिल्ली। तेलंगाना में रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष (State President of Telangana Congress) भी हैं। सूत्रों के मुताबिक, रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) आलाकमान की पहली पसंद हैं। तेलंगाना में कांग्रेस के रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) 7 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। उनके साथ एक उपमुख्यमंत्री और दो वरिष्ठ मंत्री शपथ ले सकते हैं।
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रेवंत रेड्डी ने 08 साल पहले कसम खाई थी कि मेरे जीवन का उद्देश्य केसीआर (के.चंद्रशेखर राव) को गद्दी से उतारना और उनके परिवार को राजनीति से खत्म कर देने का है। अब हुए विधानसभा चुनावों में उन्होंने ये सच कर दिखाया है। राज्य में उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने भारत राष्ट्र समिति को बडे़ अंतर से उखाड़ फेंका है।
ये काम उन्होंने केवल तीन साल के भीतर किया। दरअसल वर्ष 2020 में उन्हें मोहम्मद अजहरुद्दीन की जगह राज्य में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। बेशक उनके छोटे कद का उपहास भी उड़ाया गया लेकिन अब उन्होंने दिखा दिया कि तेलंगाना की सियासत में उनका कद काफी बड़ा हो चुका है।
कभी केसीआर के थे खास आदमी
2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद केसीआर ने तेलंगाना में सरकार बनाई। तब वह केसीआर के खास आदमी थे। छाया की तरह उनके पीछे लगे रहते थे। उनकी निष्ठा और बोलने की कला से प्रेरित होकर केसीआर ने उन्हें तेलंगाना टीडीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया. हालांकि एक साल बाद ही वो गंभीर आरोप में फंस गए।
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तब जेल गए और बेटी की शादी में जमानत पर पहुंचे
2015 में उन्हें एक गुप्त ऑपरेशन के जरिए टीडीपी एमएलसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने के लिए एक विधायक एल्विस स्टीफेंसन को रिश्वत देते पकड़ा गया। रेवंत को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी तब हुई जब उनकी इकलौती बेटी निमिषा की शादी हो रही थी। वह जमानत पर कुछ घंटों के लिए बाहर आए तभी सगाई और शादी में शामिल हो सके। पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया।
संघ और एवीबीपी से शुरुआत की
रेवंत रेड्डी कृषि से जुड़े एक गैर-राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने हैदराबाद के एवी कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया। वहां उनकी पहचान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्या परिषद (एबीवीपी) के सक्रिय कार्यकर्ता और नेता की थी।
पहले टीआरएस और फिर तेलुगू देशम
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रियल एस्टेट और अन्य व्यवसायों में हाथ आजमाने के बाद उन्होंने 2001-2002 के आसपास टीआरएस (अब बीआरएस) के सदस्य के रूप में अपना सियासी करियर शुरू किया. जेल जाने के बाद उन्हें जब केसीआर और पार्टी से मदद नहीं मिली तो उन्होंने 2006 में उसे छोड़ दिया। 2007 में वह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में एमएलसी बने। फिर तेलुगु देशम पार्टी में शामिल हो गए।
विधायक से सांसद तक रहे
पहली बार 2009 में कोडंगल निर्वाचन क्षेत्र से टीडीपी के विधायक चुने गए। अगले चुनाव में फिर टीडीपी विधायक बने। 2018 में केसीआर की लहर में वह पटनम नरेंद्र रेड्डी से लगभग 9,000 वोटों से हार गए। वह दो बार विधान परिषद में चुने गए। इसके बाद वर्ष 2019 मल्काजगिरी से सांसद भी रहे।
केसीआर के खिलाफ ये प्रतीज्ञा की
रेवंत की शादी कांग्रेस के दिग्गज नेता जयपाल रेड्डी की बेटी गीता से हुई है। कहा जाता है कि सियासत के साथ उनका अपना एक बड़ा सामाजिक सर्कल है। इसमें कोई शक नहीं उनसे मिलने वाले उनके तेजतर्रार अंदाज से प्रभावित होते हैं। उनमें संगठन बनाने की खूबी है। जब वह जेल में गए और केसीआर ने उनकी कोई मदद नहीं की, तब उन्होंने संकल्प लिया कि वह एक दिन केसीआर को मुख्यमंत्री की गद्दी से उतारकर ही दम लेंगे।
तीन साल पहले उन्हें राज्य में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर कमान सौंप दी
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जब वह टीडीपी से कांग्रेस में आए तो इस पार्टी में आने के 05 साल के अंदर ही अपनी खासियतों के कारण राज्य में पार्टी के अगुवा नेता बन गए। तीन साल पहले उन्हें राज्य में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर कमान सौंप दी गई। उनकी धारदार राजनीति पार्टी में धाक जमाती गई।
राहुल गांधी के इस तरह आए करीब
भारत जोड़ो यात्रा रेवंत को राहुल गांधी के करीब ले आई। वह भारी भीड़ जुटाने की उनकी क्षमता से प्रभावित थे। इस यात्रा में उनकी तस्वीरें और गाने प्रमुखता से दिखाए गए, जिससे पार्टी में उनका दबदबा साफ हो गया।