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राष्ट्रपति मुर्मू ने संसद के सेंट्रल हॉल में नौ भाषाओं में संविधान के अनुवादित संस्करण का किया लोकार्पण

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश आज 76वां संविधान दिवस (76th Constitution Day) मना रहा है। संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में खास कार्यक्रम आयोजित किया गया ।  संसद के पुराने सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) प्रीएंबल का वाचन किया। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्पीकर ओम बिरला सहित कई हस्तियां कार्यक्रम में शामिल हुईं। राष्ट्रपति ने संविधान का नौ भाषाओं में अनुवाद जारी किया।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं संविधान दिवस के इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सभी के बीच आकर बेहद प्रसन्न हूं। इसी दिन, 26 नवंबर 1949 को, संविधान भवन के इसी केंद्रीय कक्ष में संविधान सभा के सदस्यों ने भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने का कार्य पूरा किया था। उसी वर्ष इसी दिन हमने- भारत के लोगों ने- अपने संविधान को अपनाया था। स्वतंत्रता के बाद, संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के रूप में भी कार्य किया। डॉ. भीमराव आम्बेडकर, जो प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। हमारे संविधान के प्रमुख निर्माताओं में से एक थे।

राष्ट्रपति ने पढ़ी संविधान की प्रस्तावना

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के सेंट्रल हॉल में भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। उसके बाद राष्ट्रगान का आयोजन हुआ। इस दौरान उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा, लोकसभा नेता राहुल गांधी, राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य सांसदों के साथ प्रस्तावना को पढ़ा गया।

राष्ट्रपति ने संविधान को डिजिटल रूप से मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया, असमिया और मलयालम जैसी 9 भाषाओं में जारी किया। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुवाद का लोकार्पण कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज का दिन पूरे देश संविधान निर्माताओं के प्रति आदर व्यक्त करते हैं।

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उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि यह उन देशवासियों की सामूहिक बुद्धिमत्ता, त्याग और सपनों का प्रतीक है, जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी। महान विद्वानों, ड्राफ्टिंग कमेटी और संविधान सभा के सदस्यों ने करोड़ों भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गहन और सुदूरदर्शी विचार दिए. उनके निःस्वार्थ योगदान ने भारत को आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया है। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 2024 में हुए चुनावों में बड़ी संख्या में मतदान ने दुनिया को एक बार फिर हमारे लोकतंत्र में विश्वास दिखा दिया. हाल ही में हुए बिहार चुनाव में खासकर महिलाओं के भारी उत्साह और बड़ी संख्या में मतदान ने मदर भारत के लोकतंत्र के मुकुट में एक और अनमोल हीरा जोड़ दिया है।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संविधान सभा को याद किया और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अतिथियों का स्वागत किया।उन्होंने कहा कि संविधान सभा का केंद्रीय कक्ष वह स्थान है, जहां संवाद और विचार मंथन के बाद संविधान को आकार दिया गया। जनता की आकांक्षाओं को ध्यान में रखा गया।

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