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Covaxin : कोरोना के अल्फा और डेल्टा वैरिएंट पर है कारगर, अमेरिकी शीर्ष संस्थान का दावा

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। भारत बायोटेक की ओर से बनाई गई Covaxin कोविड वायरस के अल्फा और डेल्टा वैरिएंट पर भी असरदार है। यह दावा अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य शोध संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने किया है। संस्था ने बताया कि दो शोधों के डाटा के आधार पर ये दावा किया जा रहा है।

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एनआईएच ने कहा कि कोवाक्सिन लगवाने वाले लोगों के रक्त सीरम के दो अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि यह टीका ऐसे एंटीबॉडी विकसित करता है, जो सार्स-सीओवी-2 के बी.1.1.7 (अल्फा) और बी.1.617 (डेल्टा) स्वरूपों को प्रभावी तरीके से बेअसर करते हैं। ये स्वरूप सबसे पहले ब्रिटेन और भारत में पाए गए थे।

शीर्ष अमेरिकी स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान ने कहा कि उसकी वित्तीय मदद से विकसित एक सहायक औषधि ने अत्यधिक प्रभावशाली कोवाक्सिन की सफलता में योगदान दिया है, जिसे भारत व अन्य स्थानों में अब तक लगभग दो करोड़ 50 लाख लोगों को लगाया जा चुका है। सहायक औषधियां प्रतिरक्षा क्षमता और टीके की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए उसके हिस्से के रूप में तैयार की जाती हैं।

एनआईएच ने बताया कि कोवाक्सिन में सार्स-सीओवी-2 के एक अक्षम रूप को शामिल किया गया है। जो अपनी प्रति नहीं बना सकता, लेकिन वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है। उसने कहा कि टीके के दूसरे चरण के परीक्षण के प्रकाशित परिणाम बताते हैं कि यह सुरक्षित है। उसने बताया कि कोवाक्सिन के तीसरे चरण के परीक्षण के सुरक्षा संबंधी आंकड़े इस साल के अंत में उपलब्ध हो जाएंगे।

उसने कहा कि इस बीच, तीसरे चरण के परीक्षण के अप्रकाशित अंतरिम परिणाम से संकेत मिलता है कि यह टीका लक्षण वाले संक्रमण के खिलाफ 78 प्रतिशत प्रभावशाली है। यह गंभीर कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ 100 प्रतिशत प्रभावशाली और बिना लक्षण वाले संक्रमण के खिलाफ 70 प्रतिशत प्रभावशाली है।

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एनआईएच के हिस्से एलर्जी एवं संक्रामक रोगो के राष्ट्रीय संस्थान (एनआईएआईडी) के निदेशक एंथनी एस फाउची ने कहा कि एक वैश्विक महामारी को समाप्त करने के लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि एनआईएआईडी के समर्थन से अमेरिका में विकसित सहायक औषधि भारत में लोगों के लिए उपलब्ध एक प्रभावशाली कोविड-19 टीके का हिस्सा है।

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