नई दिल्ली: दिल्ली दंगे मामले में पुलिस ने अदालत में दायर अपने दूसरे आरोपपत्र में कहा है कि आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने दंगों को हवा देने के लिए अपनी कंपनी में काम करने के लिए लोगों की जरूरत के नाम पर फर्जी बिल उपलब्ध कराए थे। पूरक आरोपपत्र में कहा गया है कि जांच के दौरान गवाह रोशन पाठक से कथित तौर पर जनवरी 2020 में हुसैन द्वारा किए गए वित्तीय लेनदेन के बारे में पूछताछ की गई।
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हुसैन की कंपनियों में से एक में अकाउंटेंट के रूप में काम करनेवाले पाठक ने पुलिस को बताया था कि उसने कथित तौर पर दो लोगों (अमित गुप्ता और मनोज ठाकुर) से नकद पैसे लिए थे और पैसों को उसने उसे दे दिया था। इससे पता चला कि ताहिर हुसैन ने अपनी कंपनी के खाते से पैसों को अन्य कंपनियों के खातों में भेजा था। इस नकदी का इस्तेमाल ताहिर हुसैन ने फिर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे कराने के लिए किया।
मुखौटा कंपनी के खातों में पैसे भेजे थे
आरोपपत्र में सामने आया है कि हुसैन द्वारा किए गए फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी से संबंधित तथ्य तब सामने आए जब उसने पैसों को अपनी मुखौटा कंपनी के खातों में भेजने के लिए अपने साझेदार नितेश गुप्ता से कहा। हुसैन ने इन लेन-देन के संबंध में कंपनी में काम करने वाले लोगों की कमी के फर्जी बिल नितेश गुप्ता को उपलब्ध कराए, जबकि असल में इस तरह की कोई सेवा कभी नहीं ली गई। प्रवर्तन निदेशालय ने ताहिर हुसैन के इन फर्जी बिलों को जब्त किया है।
शाहीन बाग इलाके में रची थी दंगे की साजिश
अदालत ने पिछले साल खजूरी खास में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद के खिलाफ दायर पूरक आरोपपत्र पर पांच जनवरी को संज्ञान लिया था। मामले में हुसैन और अन्य के खिलाफ मुख्य आरोपपत्र जून में दायर किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया है कि हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी और उमर खालिद के बीच शाहीन बाग इलाके में बैठक हुई थी जिसमें उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनों की आड़ में दंगों की साजिश रची।