द्विजप्रिय संकष्टी गणेश चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है और हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रमा के उदय होने पर और शनिवार (19 फरवरी) को होने वाली चतुर्थी तिथि को अर्घ देकर व्रत तोड़ा जाता है। इसलिए संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत शनिवार के दिन रखा जाएगा फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
पढ़ें :- 06 मई 2024 का राशिफलः सोमवार के दिन इन राशि के लाोगों के कार्यक्षेत्र में हो सकता है विस्तार
संकष्टी गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 2022
चतुर्थी प्रारंभ समय- 19 फरवरी रात 9 बजकर 57 मिनट
चतुर्थी समाप्त होने का समय- 20 फरवरी रात 9:05 बजे
चंद्रोदय- 19 फरवरी रात 8.24 बजे
पढ़ें :- Amarnath Gufa Baba Barfani first picture : अमरनाथ गुफा से बाबा बर्फानी की पहली तस्वीर आई सामने , 29 जून से शुरू होगी दुर्गम यात्रा
संकष्टी गणेश चतुर्थी की पूजा/उपवास विधि 2022
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सारे काम हो जाने के बाद स्नान करें। इसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए किसी खम्भे पर एक साफ पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति को रख दें। अब गंगाजल छिड़क कर पूरी जगह को सेनेटाइज कर लें। इसके बाद गणपति को पुष्पों की सहायता से जल चढ़ाएं। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी का वर्क लगाएं। अब पान में लाल रंग के फूल, जनेऊ, सिल, सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं.
इसके बाद नारियल और भोग में मोदक का भोग लगाएं। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित करें और उन्हें 21 लड्डू अर्पित करें। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद अगरबत्ती, दीपक और अगरबत्ती से भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
अक्रतुंडा महाकाय सूर्य कोटि समाप्रभा |
शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बांटें। रात में चांद देखकर व्रत तोड़ा जाता है और इस तरह संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरा होता है