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Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड पर मचा सियासी बवाल, मुनाफे से ज्यादा भी कंपनियों ने कर दिया दान

By शिव मौर्या 
Updated Date

Electoral Bond: लोकसभा चुनाव के एलान से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड के सार्वजनिक होने के बाद देश में सियासी तापमान बढ़ गया है। विपक्षी दलों की तरफ से लगातार भाजपा सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। दरअसल, इलेक्टोरल बॉन्ड के सार्वजनिक होने के बाद कई ऐसी कंपनियों के नाम सामने आए हैं, जिसके ऊपर ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया’ वाली कहावत चरितार्थ होती है। इन्हीं को लेकर विपक्ष भाजपा सरकार को घेरने में भी जुट गया है।

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मीडिया रिपोर्ट की माने तो, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 12 अप्रैल 2019 और 24 जनवरी 2024 के बीच चुनावी बान्ड के जरिए 1368 करोड़ रुपये का चंदा राजनीतिक दलों को दिया है। कहा जा रहा है कि ये राशि कंपनी के तीन वर्षों के 215 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ के तुलना में छह गुना से अधिक बराबर है।

दरअसल, दावा किया जा रहा है कि, बीते पांच साल की अवधि के दौरान चुनावी बॉन्ड के माध्यम से करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक का दाने देने वाली कॉर्पेरेट संस्थाओं की सूची में ऐसी कुछ और कंपनियां शामिल हैं, जिन्होंने मुनाफे से अधिक दान ​दिया है। यही नहीं, कुछ ऐसी कंपनियां भी है, जिसने अपनी कमाई का भी एक बड़ा हिस्सा दान किया है।

राहुल गांध ने सरकार पर लगाया था ‘हफ्ता वसूली’ का आरोप
वहीं, इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर बड़ा निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि, इलेक्टोरल बॉन्ड्स के नाम पर ‘हफ्ता वसूली सरकार’ ने दुनिया का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार किया है। कंपनियों से एक्सटोर्शन का यह मॉडल खुद नरेंद्र मोदी का तैयार किया हुआ था। इस ‘आपराधिक खेल’ के नियम स्पष्ट थे, एक तरफ कॉन्ट्रैक्ट दिया, दूसरी तरफ से कट लिया, एक तरफ से रेड की, दूसरी तरफ चंदा लिया। ED, IT, CBI जैसी जांच एजेंसियां नरेंद्र मोदी की ‘वसूली एजेंट’ बन कर काम कर रही हैं। जो कभी देश के संस्थान हुआ करते थे वो अब भाजपा के हथियार के रूप में काम कर रहे हैं। भारतीय मीडिया इस स्थिति में नहीं है कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड की सच्चाई जनता को बता सके, इसलिए आपको खुद ही भाजपा का असली चेहरा पहचानना होगा। सरकारी तंत्र को पूरी तरह संगठित भ्रष्टाचार में झोंक देने वाले नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं।

 

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