नई दिल्ली। देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Former SC CJI Ranjan Gogoi) के खिलाफ असम की एक स्थानीय अदालत में मानहानि का मामला दायर किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता और असम पब्लिक वर्क्स (APW) के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने यह याचिका दाखिल की है। इसमें उन्होंने एक करोड़ रुपये की मानहानि का दावा करते हुए पूर्व सीजेआई की आत्मकथा पर रोक लगाने की मांग की है। इस याचिका में आत्मकथा के प्रकाशक पर भी आरोप लगाए गए हैं।
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अदालत में दाखिल याचिका में की गई है यह मांग
कामरूप मेट्रो जिला अदालत में दाखिल याचिका में अभिजीत शर्मा ने कहा है कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई (Former SC CJI Ranjan Gogoi) और उनकी आत्मकथा ‘जस्टिस फॉर ए जज’ में उनके खिलाफ कथित भ्रामक और मानहानिकारक बातें लिखी गई हैं। इसके लिए उन्होंने आत्मकथा के प्रकाशक रूपा पब्लिकेशन को भी याचिका में शामिल किया है। साथ ही अपनी याचिका में उन्होंने पूर्व सीजेआई और उनके प्रकाशक को ऐसी किसी भी पुस्तक के प्रकाशन, वितरण या बिक्री से रोकने के लिए एक अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग भी की है।
तीन जून को होगी सुनवाई
उनकी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की गई थी, जिसके बाद बुधवार को अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिका और उससे संबंधित दस्तावेजों को देखने के बाद सामने आया है कि इसमें कानून और तथ्यों दोनों पर ठोस सवाल खड़े होते हैं जिस पर फैसला किया जाना है। फिलहाल अदालत ने याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों को समन जारी किया है। साथ ही मामले को अगली सुनवाई के लिए तीन जून की तारीख तय की है। वहीं, अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग को लेकर न्यायाधीश ने कहा कि यह पाया गया कि यह मामला प्रकृति में आकस्मिक नहीं था। ऐसे में विरोधी पक्षों को सुने बिना कोई एकतरफा आदेश नहीं दिया जा सकता।
जानें क्या है आरोप?
गौरतलब है कि असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने सबसे पहले, मतदाता सूची से अवैध प्रवासियों के नामों को हटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसके साथ ही एनजीओ असम पब्लिक वर्क्स के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा राज्य में एनआरसी से संबंधित विभिन्न मामलों में मुखर रहे हैं। उन्होंने पहले असम में 1951 के एनआरसी को अद्यतन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी। साथ ही मामले के लंबित रहने के दौरान हाई कोर्ट की निगरानी में 2015 में असम में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू हुई थी। शर्मा ने अदालत में अपनी याचिका में बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद, पूर्व सीजेआई ने एनआरसी के समन्वयक रहे प्रतीक हजेला को पद से हटाने और उन्हें मध्य प्रदेश में स्थानांतरित करने के संबंध में कुछ बातें लिखी वो गलत बातें हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा, किताब में उनके खिलाफ कई अन्य आरोप भी लगाए गए हैं। जोकि स्वाभाविक रूप से झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं। ये उन्हें बदनाम करने के स्पष्ट इरादे से लगाए गए हैं। साथ ही मानहानिकारक प्रकृति की हैं। मामले की अगली सुनवाई तीन जून को होगी।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का है जिक्र
जानकारी के मुताबिक रंजन गोगोई की आत्मकथा में कई बातों का जिक्र है । गोगोई ने बेंच के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर ऐतिहासिक फैसले बाद हुई पार्टी का भी जिक्र किया है। उन्होंने आत्मकथा में लिखा कि ‘राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर 9 नवंबर, 2019 को सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले के बाद मैं उस बेंच के अन्य जजों को डिनर के लिए होटल ताज मानसिंह लेकर गया था।