नई दिल्ली। टीम इंडिया (Team India) के पूर्व सलामी बल्लेबाज और पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर (BJP MP from East Delhi Gautam Gambhir) शनिवार को सियासत की पिच से आउट हो गए हैं। अटकलें लगाई जा रही है कि गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने लोकसभा चुनाव से पत्ता साफ हो सकता है। इसके बीच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का संकेत दिया है। उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) को सियासी दायित्व से खुद को मुक्त करने का आग्रह किया। गौतम गंभीर के इस पोस्ट के बाद आम आदमी पार्टी उन पर हमलावर हो गई है।
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इसके बाद आप के विधायक और पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार कुलदीप कुमार (Kuldeep Kumar) ने भी गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि ‘वो दिल्ली के लोगों से मिलते नहीं थे, किसी के सुख दुख में नहीं गए। उन्होंने कोई मीटिंग अटेंड नहीं की। गंभीर सिर्फ हवाबाज थे और जमीन वाले लोगों के सामने हवाबाज उड़ गए।
दिल्ली सरकार में मंत्री और आप नेता आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि आज गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने पोस्ट कर कहा कि वह अब राजनीति से सन्यास ले रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि भाजपा गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) का टिकट काट रही है। भाजपा का ट्रेंड रहा है कि पहले वो किसी को भी टिकट दे देती है। उसकी योग्यता नहीं देखती। चाहे वो भाजपा के सांसद हों, या विधायक हों या पार्षद। ऊपर से नीचे तक चुना गया बीजेपी का कोई भी प्रतिनिधि न तो अपने इलाके की जनता में नजर आता है और न कोई काम करता है। पिछले पांच साल से गौतम गंभीर ने अपने इलाके में कोई काम नहीं किया। गौतम गंभीर क्या सभी सांसद अपने इलाकों से नदारद रहे?
भाग गए हैं गंभीर- आतिशी
आतिशी ने ने बीजेपी को अपने 7 दिल्ली सांसदों का रिपोर्ट कार्ड देने की चुनौती दी और कहा कि जब एलजी दिल्ली सरकार का काम रोक रहे थे तो ये 7 सांसद क्या कर रहे थे? उन्होंने कहा कि जब संसद में दिल्ली के संवैधानिक अधिकारों की हत्या हो रही थी तब ये 7 सांसद कहां थे? गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) को निशाने पर लेते हुए आतिशी ने कहा कि गंभीर पूर्वी दिल्ली से भाग गए हैं। मैंने गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) को पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी, लेकिन उन्होंने भागने का फैसला किया। बेकार उम्मीदवार बीजेपी द्वारा मैदान में उतारे जाते हैं। वे 5 साल तक काम नहीं करते हैं और फिर वे इन उम्मीदवारों को बदल देते हैं। गंभीर के पास क्रिकेट कमेंटरी करने के लिए समय था, लेकिन उनके पास लोगों के लिए काम करने का समय नहीं था।