Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. बिहार
  3. बिहार चुनाव के नतीजों का राष्ट्रीय और स्थानीय राजनीति पर क्या होगा असर? यहां समझे कैसे बदलेगी सियासत

बिहार चुनाव के नतीजों का राष्ट्रीय और स्थानीय राजनीति पर क्या होगा असर? यहां समझे कैसे बदलेगी सियासत

By Aakansha Upadhyay 
Updated Date

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए प्रचंड जीत हुई है। सीएम नीतीश कुमार को लेकर जिस तरह का बिहार में चुनाव से पहले नैरेटिव सेट किया जा रहा था, वो चुनाव नतीजों में कहीं दिखाई नहीं दिया। बिहार में नीतीश कुमार और पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए के पांचों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा और 202 सीट पर जीत दर्ज की। चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी तो जेडीयू दूसरे नंबर पर रही। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर एक बार फिर से मुहर लगाते हुए बता दिया कि अभी ‘मोदी मैजिक’ खत्म नहीं हुआ है। इन नतीजों के स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर गहरे सियासी मायने हैं।

पढ़ें :- बिहार में जल्द होगा मंत्री मंडल का विस्तार, जेडीयू से छह और भाजपा से तीन विधायक बन सकते है मंत्री

लोकसभा में बीजेपी का फीका प्रदर्शन बता दें कि बीती बात बिहार चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। बीजेपी ने 101 सीट पर चुनाव लड़ा और 89 सीट पर जीत दर्ज की। बिहार चुनाव 2025 के नतीजों से एक बात साफ हो गई कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की फीका प्रदर्शन अब इतिहास बन गया है। हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद, बिहार ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में NDA को एक विशाल जनादेश दिया है।

राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की ब्रांडिंग को मिली मजबूती बिहार के नतीजों ने आगामी सभी विधानसभा चुनाव, खासकर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बीजेपी की ब्रांडिंग को और मजबूत किया है। यह जीत यह साबित करती है कि मोदी का नेतृत्व और चुनावी रणनीति अभी भी प्रभावी है।

SIR अब मुद्दा नहीं रहा बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के SIR को राहुल गांधी ने चुनावी मुद्दा बनाया। बिहार में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए ‘वोटर अधिकार यात्रा’ भी निकाली। लेकिन, इससे कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ। इससे एक बात साफ हो गई है कि SIR को अब मुद्दा नहीं बनाया जा सकता है। इससे एक बार फिर से राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए, जो कांग्रेस के लिए एक और बड़ी हार के सूत्रधार बने।

I.N.D.I.A. गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति कमजोर

पढ़ें :- मां राबड़ी देवी और पिता लालू को लेकर रोहिणी आचार्या ने दिया बड़ा बयान, कहा- घर से तो निकाल दोगे, लेकिन दिल से कैसे निकालोगे

राहुल गांधी का प्रचार अभियान बिहार चुनाव में पूरी तरह से फेल रहा। कांग्रेस करीब 40 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन, जीत केवल 6 सीटों पर ही मिली। कांग्रेस का ये निराशाजनक प्रदर्शन विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन के अन्य सहयोगियों के बीच पार्टी की स्थिति को और कमजोर करता है। अब राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन की बातचीत में कांग्रेस मोलभाव करने की स्थिति में नहीं रहेगी।

गठबंधन का सही तरीके से प्रबंधन दिलाता है जीत

बीजेपी ने साबित कर दिया कि गठबंधन की राजनीति बिना गठबंधन प्रबंधन के कुछ नहीं है। बीजेपी ने चुनाव से पहले नीतीश कुमार को मनाया और चिराग को भी गठबंधन से दूर नहीं जाने दिया। नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच जो कड़वाहट थी, बीजेपी ने उसे भी दूर कराया। इसके चलते LJP (रामविलास) के साथ सीट-बंटवारे में भी बीजेपी ने उदारता दिखाई। चुनाव में प्रचार की बारी आई तो सभी पार्टियों ने एक दूसरे के लिए खूब प्रचार किया। साथ ही अपना वोट भी ट्रांसफर कराया।

एनडीए के लिए फिर निर्णायक साबित हुईं महिला मतदाता

बीजेपी के लिए महिला मतदाता, जो लगातार एक महत्वपूर्ण वर्ग बनती जा रही हैं, उन्होंने एक बार फिर निर्णायक भूमिका निभाई, जैसा कि महाराष्ट्र में हुआ था। अब पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों में पार्टियां महिला वोटरों को साधने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा करेंगी
नीतीश कुमार को धन्यवाद

पढ़ें :- सीएम सस्पेंस ! के बाद शुरू हुआ डिप्टी सीएम कौन का 'खेल', रेस में आए ये नाम

एनडीए की 200 से ज़्यादा सीटें बिहार की ओर से नीतीश को ‘धन्यवाद’ भी हैं, जो राज्य के पसंदीदा नेता के लिए एक आखिरी बड़ी जीत है।

 

Advertisement