नई दिल्ली। 141 सांसदों के निलंबन पर सियासी पारा बढ़ता जा रहा है। कार्यवाही के खिलाफ धरने पर बैठे सांसदों की तरफ से विरोध प्रदर्शन भी किया जा रहा है। इसी क्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री कर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद कल्याण बनर्जी विवादों में घिर गए। इसके जरिए भाजपा नेताओं की तरफ से अब कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को घेरा जा रहा है। वहीं, अब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद ने इस पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि, मुझे भी सदन में बोलने नहीं दिया जाता है, तो क्या मैं भी यह कहूं कि मुझे दलित होने के कारण बोलने नहीं दिया जा रहा है।
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मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, सभापति जी का काम सदन के अंदर सांसदों को सुरक्षा देना है। सदन में जात-पात की बात करके लोगों को बाहर भड़काने का काम नहीं करना चाहिए। मुझे भी सदन में बोलने नहीं दिया जाता है, तो क्या मैं भी यह कहूं कि मुझे दलित होने के कारण बोलने नहीं दिया जा रहा है।
वहीं, इससे पहले मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर लिखा था कि, 141 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है क्योंकि वे गंभीर सुरक्षा उल्लंघन पर गृह मंत्री से बयान चाहते थे। 6 घुसपैठियों पर आतंकवाद विरोधी, यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। घुसपैठियों के प्रवेश में मदद करने वाले भाजपा सांसद निर्दोष हैं और उनसे अभी तक पूछताछ नहीं की गई है। ये कैसी जांच है?
इसके साथ ही उन्होंने सवाल पूछा कि, संसदीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों को जवाबदेह क्यों नहीं बनाया गया? अब तक सिर आ जाना चाहिए था। जाहिर तौर पर घुसपैठिए महीनों से इसकी योजना बना रहे थे, इस बड़ी खुफिया विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है?
उन्होंने पूछा, संसद की बहुस्तरीय सुरक्षा को देखते हुए, दो घुसपैठिए अपने जूते में पीले गैस कनस्तरों को छिपाकर इमारत में प्रवेश करने और लगभग भारत के लोकतंत्र के गर्भगृह तक पहुंचने में कैसे कामयाब रहे?
साथ ही कहा, प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी देश में “एकल पार्टी शासन” स्थापित करना चाहती है। वे “एक अकेला” की बात करते हैं जो लोकतंत्र को ध्वस्त करने जैसा है। विपक्षी सांसदों को निलंबित करके उन्होंने ठीक यही किया है। इस शर्मनाक सुरक्षा चूक के लिए उच्च पद पर बैठे लोगों को दंडित करने के बजाय, उन्होंने सांसदों के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लिया है, और इस तरह जवाबदेही से बच गए हैं।
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