नई दिल्ली। साल 2014 में देश में भाजपा की सरकार बनने और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश सही मायने में आजाद हुआ। 1947 में मिली आजादी जिसके उपलक्ष्य में हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं वो हमे भीख में मिली। इस देश के स्वतंत्रा सेनानी,महानायक,क्रांतिकारी एक बड़ा सा कटोरा हांथ में लिए एक साथ एक जगह इकट्ठा हुए थे। वर्षो से भारत पर राज कर रहे अंग्रेजों के उस समय के वायसराय वहां आये और आजादी को कटोरे में रख दिया और जो लोग वहां खड़े थे उनसे कहां कि हमने आपको आजाद कर दिया है। तब से भारत भीख में मिली उस आजादी का जश्न 15 अगस्त को हर साल मनाता है। ये मैं नहीं कह रहा कि ऐसा ही हुआ होगा।
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भारत की मशहूर अभिनेत्री कम और नई-नई इतिहासकार की भूमिका में नजर आ रही कंगना रनौत ने एक टीवी चैनल के शो में कहां कि भारत को सन 1947 में आजादी नहीं मिली वो तो भीख थी। इसी बारे में गहन चिंता करते हुए जब आप अपने दिमाग पर जोर डालेंगे तो कुछ ऐसा की चित्रण उभर के सामने आ जायेगा। कि सभी एक जगह बड़ा कटोरा लिए खड़ा होंगे और अंग्रेज उसमे आजादी डाल के वापस इंग्लैंड लौट गये होंगे। आपको बता दें कि एक बड़े चैनल को दिये इंटरव्यू में अभिनेत्री के द्वारा दिये गये बेहद शर्मनाक किस्म के बयान पर देश में उनके खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे हैं। अभिनेत्री ने इंटरव्यू में कहा कि 1947 में मिली आजादी तो भीख में मिली देश को असली आजादी तो 2014 में देश में भाजपा की सरकार बनने के बाद मिली है।
अभिनेत्री ने कैसे एक झटकें में मंगल पांडेय,वीर कुंवर सिंह,झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरु, सरदार बल्लभ भाई पटेल के संघर्षों को एक झटकें में बौना साबित कर दिया। चलो आपको आपकी विचारधारा गांधी और नेहरु को अजादी का महानायक बताने की छूट ना देती हो पर आप सुभाष चंद्र बोस,अंग्रेजों की लाठी खाते खाते मारे गये लाला लाजपत राय को कैसे भूल गईं। इन्हें भी अगर भूल गई तो आज उस 23 वर्ष के बालक भगत सिंह को कैसे ना याद रख पाईं जो आपको इतना बोल पाये उसकी आजादी हो इसके लिए वो किशोराअवस्था में फांसी पर झूल गया। ऐसे ना जानें कितने महानायक,क्रांतिकारी जिनके नाम अगर लिखने लगा जाये तो एक-एक शब्द से संघर्ष का लहू टपक पड़े।
जो अपने निजी स्वार्थ को ताक पर रखते हुए फांसी चढ़ गये, जान दे दी इतना ही नहीं इस देश के एक लाल ने तो मरने के लिए भी अंग्रेजों की गोली का चयन तक ना किया अपनी पिस्टल में बची एक गोली से उसने खुद को उड़ा लिया। आप उस चंद्रशेखर आजाद को तो कम से कम याद रखी होती। इन सबके रास्ते भले अलग-अलग हो पर मंजिल सबकी एक थी। कोई हिंसा की राह चला तो किसी ने सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना। लेकिन सबने अपनी मंजिल देश की आजादी ही तय कर रखी थी। अभिनेत्री के द्वारा दिये गये इस बयान के बाद एक बात सोचने पर व्यक्ति विवश हो जा रहा है कि आखिर इस प्रकार दिये गये सार्वजनिक मंच से विशेष ज्ञान पर सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं कि।
एक बयान से समूचे महानायकों के कुर्बानियों को बेकार साबित करने के लिए क्या कंगना पर देशद्रोह का आरोप नहीं लग सकता। आजकल तो वैसे भी किसी को देशद्रोही साबित करना कितना आसान हो चला है। विपक्ष का कहना है कि इस मामले को लेकर वर्तमान भाजपा की सरकार कोई ठोस कदम उठाते नजर नहीं आ रही है। चौतरफा घीर रही कंगना पर सोशल मीडिया से जब लोगो ने हाल ही मिले पद्म श्री पुरस्कार को वापस लौटाने की बात कही तो उन्होंने तर्क दिया कि आप हमें बता दें कि 1947 में कौन सा युद्ध लड़ा गया था। आपको कंगना ये भी पता होना चाहिए कि साल 2014 में भी कोई युद्ध देश की अजादी के लिए नहीं लड़ा गया था।
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सरकार का इस पूरे मामले को लेकर गंभीर ना होना भी बड़ा सवाल पैदा करता है। क्या सराकर को ऐसे लोगो का समर्थन हासिल है कि जो मन में आये वो बोल के चले जायें। कंगना को पद्म श्री का पुरस्कार दिया जाना, उत्तरप्रदेश राज्य की एक योजना वन डिस्टीक वन प्रोडक्ट का ब्रांड एंबेसडर बनाया जाना इसी बात की ओर इशारा करता है। कंगना को इन पदों से मुक्त कर सरकार को देशहीत का एक बड़ा उदाहरण पेश करना चाहिए। सरकार की कोशिश ये भी होनी चाहिए कि आगे से कोई इस देश की मान मर्यादा से इस तरह का कोई खिलवाड़ ना करें। इस प्रकार का बयान नकाबिले बर्दाशत होगा।