नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जल जीवन मिशन योजन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है। उन्होंने कहा कि, तय समय से सात महीने ज्यादा होने के बाद भी अभी काम पूरा नहीं हो पाया है। पिछले पांच वर्षों में इस योजना के तहत जितनी तेज़ी से कम होना चाहिए था उसके मुकाबले बेहद कम प्रगति हुई है।
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जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, वर्ष 2019 के अगस्त महीने में, नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने बड़ी धूमधाम से जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इसके तहत मार्च 2024 तक देश के सभी घरों में नल से पीने का पानी उपलब्ध कराने का वादा था। यह समय सीमा सात महीने पहले ही पूरी हो चुकी है। इसके बाद भी लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।
ज़्यादा चिंता की बात यह है कि अब यह सामने आ रहा है कि योजना की लागत प्रारंभिक अनुमानों से दोगुनी हो गई है, जबकि फंडिंग आवंटन पूरी तरह से अपर्याप्त है। इस योजना की प्रगति रुक गई है क्योंकि राज्य सरकारें केंद्र की तरफ़ से होने वाली मामूली फंडिंग के बीच निवेश जारी रखने में असमर्थ हैं, भले ही नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की सरकार 50-60% लागत वहन करने के लिए सहमत हुई है।
उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में, राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 7,671.6 करोड़ का बजट रखा, लेकिन केंद्र सरकार ने केवल 4044.7 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। काम रुका हुआ है और देश भर में हज़ारों करोड़ रुपए के भुगतान लंबित हैं। इस मामले पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत कई मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।
वर्ष 2019 के अगस्त महीने में, नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने बड़ी धूमधाम से जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इसके तहत मार्च 2024 तक देश के सभी घरों में नल से पीने का पानी उपलब्ध कराने का वादा था।
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यह समय सीमा सात महीने पहले ही पूरी हो चुकी है। इसके बाद भी लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।… pic.twitter.com/hdDeI1iNbB
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 4, 2024
उन्होंने आगे लिखा, यह बहुत बड़ा मिसमैनेजमेंट है। शुरुआत में लागतों को बेहद पर कम करके आंका गया था। पिछले पांच वर्षों में इस योजना के तहत जितनी तेज़ी से कम होना चाहिए था उसके मुकाबले बेहद कम प्रगति हुई है। और अब हम नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की प्रमुख योजनाओं में से एक में फंड की कमी देख रहे हैं। क्या यह सिर्फ़ सरकार की अक्षमता को दिखाता है, या 4 जून, 2024 को स्वयंभू परमात्मा के अवतार को मिले तगड़े झटके के लिए भारत के सबसे ग़रीब मतदाताओं से प्रतिशोध लेने का एक भयावह प्रयास है?