Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. Janeu Sacraments: जनेऊ धारण करने से सिद्धियां सहज ही प्राप्त हो जाती हैं, यज्ञोपवीत संस्कार के बारे में जानिए

Janeu Sacraments: जनेऊ धारण करने से सिद्धियां सहज ही प्राप्त हो जाती हैं, यज्ञोपवीत संस्कार के बारे में जानिए

By अनूप कुमार 
Updated Date

Janeu sacraments: भारतीय संस्कृति में जनेऊ धर्म का प्रतीक माना जाता है। इसके धारण् करने के पीछे वैज्ञानिकता भी है। जनेऊ यानि कि यज्ञोपवीत भारतीय संस्कृति में एक विशेष् महत्व रखता है। यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है।

पढ़ें :- Mahakumbh 2025 :  कुंभ के प्रथम स्नान में शिखर पर सनातन आस्था,अखिल भारतीय संत समिति और अखाड़ा परिषद ने सनातन समाज को दी बधाई

हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से एक ‘उपनयन संस्कार’ के अंतर्गत ही जनेऊ पहना जाता है जिसे ‘यज्ञोपवीत संस्कार’ भी कहा जाता है। सम्पूर्ण भारत में जनेऊ धारण किया जाता है। इसे यज्ञसूत्र, व्रतबंध, ब्रह्मसूत्र, उपनयन आदि नामों से भी जाना जाता है। भारत के अनेक राज्यों में इसके नाम भिन्न है जैसे तेलुगु में इसे जंध्यम, तमिल में पोनल, कन्नड़ में जनिवारा कहते है।हिंदू धर्म के तीन मूल विचारों का प्रतिनिधित्व करता है।प्राचीन काल में यज्ञोपवीत के बाद ही बच्चा अध्ययन के लिए गुरुकुल जा सकता है।

यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण करते समय बोला जाने वाला मंत्र भी अत्यंत शुभ है। यह आयु, बल, विद्या, शुभता और तेज प्राप्ति के लिए की गई प्रार्थना है। जनेऊ धारण करने से यह सब सिद्धियां सहज ही प्राप्त हो जाती हैं।

 मंत्र
ओं यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्,
आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेज: .

1.जनेऊ तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं

पढ़ें :- Sakat Chauth Vrat 2025 : सकट चौथ का व्रत भगवान विघ्न हर्ता को समर्पित होता है , यहां जानिए पूरा नियम

2.यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है।

3.यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।

4.यह तीन आश्रमों का प्रतीक है।

5.संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।

6.यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं।

पढ़ें :- Shattila Ekadashi 2025 : माघ मास में इस दिन रखा जाएगा षटतिला एकादशी का व्रत, करें भगवान विष्णु की आरती

7.इस तरह कुल तारों की संख्या नौ होती है।

8.एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं।

9.यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यज्ञोपवीत की लंबाई 96 अंगुल होती है।

Advertisement