Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. ‘सच सामने लाने की कीमत पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने जान देकर चुकाई ’, छत्तीसगढ़ सरकार का पीड़ित परिवार पर नहीं पसीजा दिल,आरोप-प्रत्यारोप के खेल में जुटी बीजेपी

‘सच सामने लाने की कीमत पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने जान देकर चुकाई ’, छत्तीसगढ़ सरकार का पीड़ित परिवार पर नहीं पसीजा दिल,आरोप-प्रत्यारोप के खेल में जुटी बीजेपी

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा जनपद बीजापुर के स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हौंसला बुलंद अपराधियों ने विगत दिनों निर्मम हत्याकर प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Chief Minister Vishnudev Sai) के कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है। बीजेपी शसित राज्य में पत्रकारों पर हमला लोकतंत्र पर करारा तमाचा है। क्योंकि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है और जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर किसी भी अपराधी द्वारा इस प्रकार की अमानवीय घटना को अंजाम दिया जाता है तो लोकतंत्र की रक्षा का सवाल खड़ा होता है।

पढ़ें :- दिल्ली विधानसभा चुनाव : उमर अब्दुल्ला बोले- आप और कांग्रेस को तय करना चाहिए कि भाजपा से बेहतर तरीके से कैसे लड़ना है?

सीएम ने आज तक पीड़ित पत्रकार परिवार को  कोई आर्थिक मदद का न ऐलान कर अपनी हृदयहीन सरकार का प्रत्यक्ष प्रमाण दिया

पत्रकार अपनी जान जोखिम में डाल करके समाज के शोषित पीड़ित मजलूमों के हक और अधिकार के लिए दिन-रात काम करते हैं इसके बावजूद भी उनकी सुरक्षा की जो व्यवस्था होनी चाहिए ना तो स्थानीय प्रशासन द्वारा और ना ही प्रदेश सरकार द्वारा की जाती है जो बहुत ही दुखद है। इससे दुखद यह है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Chhattisgarh Chief Minister Vishnudev Sai) ने आजतक पीड़ित पत्रकार के परिवार को अभी तक कोई आर्थिक सहायता का ऐलान कर अपनी हृदयहीन सरकार होने प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है।

क्या मुकेश के परिवार की कोई वैल्यू नहीं?

छत्तीसगढ़ में पत्रकार की जघन्य हत्या के 10 दिन बीतने होने को है। लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Chief Minister Vishnudev Sai) ने अभी तक सांत्वना देने की जहमत नहीं उठाई।

पढ़ें :- लखीमपुर पुलिस कस्टडी मौत : प्रियंका गांधी, बोलीं-भाजपा राज में न तो संविधान का सम्मान..., वीडियो शेयर कहा-देखिए पुलिस का व्यवहार

1. परिवार को एक रुपया की मदद नहीं की।
2. ना मुआवज़े का ऐलान।
3. ना परिवार के किसी सदस्य से मिले।
क्या मुकेश के परिवार की कोई वैल्यू नहीं?

आरोपियों के बैंक खातों को फ्रीज कर भेजा जेल, अब भाजपा कांग्रेस को घेरने का खेल रही है खेल 

हालांकि कार्रवाई के नाम पर पत्रकार मुकेश चंद्राकर मर्डर केस के मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर समेत चार आरोपियों रितेश चंद्राकर, दिनेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके के साथ कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजकर इतिश्री कर ली है। इसके साथ ही अधिकारियों ने आरोपी सुरेश चंद्राकर की अवैध संपत्तियों और अतिक्रमण को ढहा दिया गया है। पुलिस ने सुरेश चंद्राकर और अन्य आरोपियों के बैंक खातों को फ्रीज करके साथ ही तीन खातों को होल्ड कर दिया गया है।

इस मामले को लेकर कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं को कटघरे में खड़ा कर रही है। साथ ही पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा कर रही है। तो वहीं इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी सुरेश चंद्रकार का कांग्रेस के नेताओं से संबंध और उसका खुद कांग्रेस पार्टी में होने को लेकर भाजपा कांग्रेस को घेरने का खेल खेल रही है।

छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद से पत्रकारिता जगत में काफी रोष

पढ़ें :- Delhi Assembly Elections 2025 : दिल्ली चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने BJP को बड़ा झटका, पार्टी के 100 से ज्यादा सदस्यों AAP में कराया शामिल

छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद से पत्रकारिता जगत में काफी रोष है। इसी कड़ी में दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में चंद्राकर की याद में सभा आयोजित की गई। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार, उर्मिलेश सिंह, परंजय गुहा ठाकुरता और आशुतोष भारद्वाज व अन्य सैकड़ों पत्रकार इकट्ठा हुए। जो पत्रकार मुकेश चंद्राकर को जानते थे या जिन्होंने उनके साथ काम किया, उन्होंने चंद्राकर के साथ किए काम के अनुभव को भी साझा किया।

पत्रकारों ने बताया कि दिल्ली और छत्तीसगढ़ के जंगलों से पत्रकारिता करने में जमीन आसमान का फर्क

पत्रकारों ने बताया कि दिल्ली और छत्तीसगढ़ के जंगलों से पत्रकारिता करने में जमीन आसमान का फर्क है। छत्तीसगढ़ का पत्रकार जो झेलता है, वह दिल्ली का पत्रकार कभी सोच भी नहीं सकता है। वह जिन जोखिमों से से गुजरता है, दिल्ली में बैठा व्यक्ति उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता है। बस्तर के पत्रकार को दिल्ली के पत्रकार के बराबर न नाम मिलता है और न ही पैसा। जबकि वह हमेशा जान जोखिम में डालकर अपनी पत्रकारिता करता है।

बता दें कि 33 वर्षीय मुकेश चंद्राकर एक जनवरी की रात से ही अपने घर से लापता हो गए थे। बाद में उनका शव ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है। बता दें कि मुकेश चंद्राकर स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर ‘एनडीटीवी’ के लिए काम करते थे। इसके अलावा वो यूट्यूब पर एक लोकप्रिय चैनल ‘बस्तर जंक्शन’ का भी संचालन करते थे, जिसमें वे बस्तर की अंदरूनी खबरें प्रसारित करते थे।

अपना घर बनाने का सपना, सपना ही रह गया

छत्तीसगढ़ के बीजापुर के 34-वर्षीय पत्रकार मुकेश चंद्राकर अपने यूट्यूब चैनल की कमाई से एक प्लॉट भी खरीदा था और जल्द ही अपने सपनों का घर बनाने की उम्मीद कर रहे थे। मुकेश के साथी पत्रकार रंजन दास ने बताया कि उनके बैंक खाते में 3 लाख रुपये जमा थे जिन्हें उन्होंने अपना घर बनाने के लिए रखा हुआ था क्योंकि उनके पास कभी घर नहीं था।

पढ़ें :- प्रशांत किशोर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए बेउर जेल, बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था

अब खाली प्लॉट में लगे खंभे में परिवार ने मुकेश की अस्थियों से भरा  पैकेट है बांधा

अब प्लॉट खाली पड़ा है, जिस पर लोहे के खंभे लगे हैं, जिनमें से एक पर मुकेश की अस्थियों से भरा एक पैकेट है, जिसे उनके परिवार ने बांधा है। मुकेश की पत्रकारिता की यात्रा भले ही छोटा थी, लेकिन असाधारण थी। बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर बासागुड़ा में जन्मे मुकेश को पड़ोसी दंतेवाड़ा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई की थी। मुकेश और उनके बड़े भाई युकेश का पालन-पोषण उनकी मां ने किया, जो एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता थीं और उन्हें बहुत कम सैलरी मिलती थी। मुकेश को पत्रकारिता में आने की प्रेरणा बड़े भाई युकेश से मिली, जो मुकेश के ग्रेजुएट होने के दौरान मीडिया में शामिल हो गए थे।

Advertisement