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Judge Cash Scandal: जस्टिस वर्मा का दावा- जिस कमरे में आग लगी वहां से सिर्फ फर्नीचर और गद्दे जैसी चीजें थी, साजिश की जतायी आशंका

By Abhimanyu 
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Judge Cash Scandal: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के सरकारी आवास में कथित तौर पर भारी मात्रा में अधजले नोट मिलने के मामले में जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रेस विज्ञप्ति और अधजले नोटों के ढेर का एक वीडियो जारी किया है। वहीं, जस्टिस वर्मा ने अपने खिलाफ साजिश की आशंका जताते हुए दावा किया है कि जिस कमरे में आग लगी थी वहां केवल कुछ फर्नीचर और गद्दे आदि जैसे अनुपयोगी घरेलू सामान रखे हुए थे।

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सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट दी है।’

जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Delhi High Court) को भेजे अपने विस्तृत जवाब में कहा कि ये उन्हें बदनाम करने और फंसाने की साजिश है। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा- ‘मैंने जस्टिस वर्मा से संपर्क किया, जो 17.3.2025 को सुबह करीब 8.30 बजे दिल्ली हाईकोर्ट गेस्ट हाउस (Delhi High Court Guest House) में मुझसे मिले, जहां मैं फिलहाल रह रहा हूं। जस्टिस वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी, उसमें केवल कुछ फर्नीचर और गद्दे आदि जैसे अनुपयोगी घरेलू सामान रखे हुए थे। उन्होंने यह भी बताया कि कमरे में नौकरों, माली और कभी-कभी सीपीडब्ल्यूडी (CPWD) के कर्मचारी भी आ-जा सकते थे। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि घटना के समय वे भोपाल में थे और उन्हें यह जानकारी उनकी बेटी से मिली।’

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘जस्टिस वर्मा ने मुझे आगे बताया कि इस समय कमरे में काला जला हुआ पदार्थ (कालिख) पड़ा हुआ है। इसके बाद मैंने उन्हें अपने व्हाट्सएप पर तस्वीरें और वीडियो दिखाए, जो पुलिस आयुक्त (Police Commissioner) मुझे पहले ही भेज चुके थे। इसके बाद उन्होंने अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका जताई।’ दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Delhi High Court) ने आगे कहा, ‘घटना की रिपोर्ट, उपलब्ध सामग्री और जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब की जांच करने पर मुझे यह पता चला कि पुलिस आयुक्त ने 16.3.2025 की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के आवास पर तैनात गार्ड के अनुसार, 15.3.2025 की सुबह जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और अन्य आंशिक रूप से जली हुई वस्तुएं हटा दी गई थीं। मेरे द्वारा की गई जांच में प्रथम दृष्टया यह पता नहीं चलता है कि बंगले में रहने वाले लोगों, नौकरों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों (यदि कोई हो) के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने कमरे में प्रवेश किया था या नहीं। तदनुसार, मेरी प्रथम दृष्टया राय है कि पूरे मामले की गहन जांच की जानी चाहिए।’

जस्टिस वर्मा ने बताया कि आग लगते ही उनकी बेटी और निजी सचिव ने तुरंत दमकल विभाग को जानकारी दी। दमकलकर्मियों ने सुरक्षा कारणों से घर के सभी लोगों और कर्मचारियों को घटनास्थल से दूर कर दिया। जब आग बुझने के बाद परिवार के सदस्य और स्टाफ वहां पहुंचे तो उन्हें कोई नकदी या जला हुआ पैसा नहीं मिला। उन्होंने मीडिया पर भी नाराजगी जताई और कहा कि बिना जांच किए उन पर झूठे आरोप लगाए गए।

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