Kaal Bhairav Jayanti 2025 : काल भैरव भगवान शिव का रौद्र अवतार माने गए हैं। आज काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार काल भैरव की पूजा करने से नकारात्मकता, ग्रह दोष और सभी प्रकार का भय दूर होता है। भैरव अष्टमी और कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। काल भैरव जयंती हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाती है। भैरव का अर्थ है भय को हरने या जीतने वाला। इसलिए काल भैरव रूप की पूजा से मृत्यु और हर तरह के संकट का डर दूर हो जाता है। काल भैरव को समय का देवता और न्याय के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है।
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भगवान भैरव के स्वरूप
भगवान भैरव के तमाम स्वरूप बताए गए हैं- असितांग भैरव, रूद्र भैरव, बटुक भैरव और काल भैरव आदि। बटुक भैरव और काल भैरव की पूजा और ध्यान सर्वोत्तम है। इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं।
काल भैरव पूजा
आज के दिन काल भैरव मंदिर में दीपक जलाने के बाद, काल भैरव बाबा के मंत्रों का कम से कम 108 बार जाप करें।
मंत्र
“ॐ काल भैरवाय नमः” या “ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं” मंत्र का जाप कर सकते हैं।
मंत्र
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।