नई दिल्ली। बिहार के बेगूसराय जिले के एक छोटे से गांव बेहट को 1987 जन्मा एक लड़का आज कांग्रेस पार्टी का लोकप्रिय युवा चेहरा बन चुका है। छात्र राजनीति से शुरुआत कर संसद तक पहुंचने का सपना देखने वाला युवा अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अपनी पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बना रहा है। यह कहानी है कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) की, एक ऐसे नेता की, जिनकी पहचान उनकी शिक्षा, विचार और संघर्ष से बनी है। कन्हैया का मानना है कि शिक्षा सिर्फ रोजगार पाने का जरिया नहीं है, बल्कि समाज को बदलने का औजार है। कन्हैया कुमार का जन्म जिस इलाके में हुआ है। वह इलाका मजदूर आंदोलन और वामपंथी सोच के लिए जाना जाता है। उनका परिवार आर्थिक रूप से सामान्य था, लेकिन शिक्षा के महत्व से वाकिफ था।
पढ़ें :- IND vs SA Final ODI: आज वनडे सीरीज के निर्णायक मैच में भारत-साउथ अफ्रीका की होगी भिड़ंत; जानें- कब और कहां देख पाएंगे लाइव
कन्हैया कुमार की शिक्षा
कन्हैया कुमार की प्रारंभिक शिक्षा मसनदपुर के मध्य विद्यालय और फिर बरौनी के आरकेसी हाई स्कूल से हुई। कन्हैया कुमार ने वर्ष 2002 में बिहार बोर्ड से दसवीं कक्षा पास किया था। इसी के बाद कन्हैया पास के क्षेत्र मोकामा चले गए और वही के राम रतन सिंह कॉलेज से आईएससी (विज्ञान) की पढाई की। इसके बाद कन्हैया कुमार ने 2007 में पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस से भूगोल में स्नातक (बी.ए. आर्नस) किया। बाद में कन्हैया ने पटना के नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में एमए किया। वे छात्र राजनीति से जुड़े और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर चर्चा में भाग लेने लगे।
जेएनयू से कन्हैया को मिली असली पहचान
कन्हैया कुमार की असली पहचान बनी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से मिली। उन्होंने यहां से अफ्रीकी अध्ययन (Centre for African Studies, SIS) में एमए, फिर एमफिल, और फिर पीएचडी की पढ़ाई पूरी की। उनकी पीएचडी का रिसर्च टॉपिक , ‘The Process of Decolonization and Social Transformation in South Africa’ था। जेएनयू में रहते हुए वे 2015 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए और छात्र राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में शामिल हो गए। वे अक्सर कहते हैं कि शिक्षा अधिकार नहीं, हथियार होनी चाहिए, बदलाव का हथियार।
पढ़ें :- चिराग पासवान की पार्टी के जिलाध्यक्ष ने नाबालिग को बहला-फुसलाकर किया दुष्कर्म, पुलिस ने पाॅक्सो एक्ट में किया गिरफ्तार
ये है पूरा सफरनामा
पूरा नाम: कन्हैया कुमार
उम्र: 38 साल
जन्म तारीख: 2 जनवरी 1987
जन्म स्थान: बेगूसराय, बिहार
शिक्षा: पीएचडी
कॉलेज: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
वर्तमान पद: कांग्रेस नेता
व्यवसाय: राजनीतिज्ञ
राजनीतिक दल: कांग्रेस
वैवाहिक स्थिति: अविवाहित
पिता का नाम: जयशंकर सिंह
माता का नाम: मीना देवी
कन्हैया कुमार का परिवार
कन्हैया कुमार के पिता का नाम जयशंकर सिंह और माता का नाम मीना देवी है। कन्हैया कुमार के पिता लकवाग्रस्त हैं और मां एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। कन्हैया कुमार का एक बड़ा भाई मणिकांत है, जो असम की एक कंपनी में सुपरवाइज़र का काम करता है। कन्हैया कुमार पर 6 आपराधिक मुकदमा दर्ज है।
कन्हैया कुमार का राजनीतिक सफर
पढ़ें :- CJI सूर्यकांत का दो टूक आदेश, बोले-मंदिर का पैसा भगवान का है, घाटे में डूबे बैंकों के लिए नहीं हो सकता इस्तेमाल
कन्हैया कुमार ने पहली बार 2019 के आम चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़ा। उस चुनाव में कन्हैया कुमार का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के गिरिराज सिंह से था। बेगूसराय कन्हैया कुमार का जन्मस्थली जिला है, बावजूद इसके कन्हैया कुमार की भारी मतों के अंतर हार हुई। क्षेत्र में जगह जगह कन्हैया को विरोध का भी सामना करना पड़ा। उस चुनाव में कन्हैया कुमार की गिरिराज सिंह से 422,217 मतों के अंतर से हार हुई थी।
अपने जन्मस्थली क्षेत्र में घोर पराजय के बाद कन्हैया कुमार 2024 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस ने उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया। यहां पर उनका मुकाबला बीजेपी के मनोज तिवारी से था। कन्हैया कुमार की इस बार के चुनाव में भी हार मिली। कन्हैया कुमार, मनोज तिवारी से 1,38,778 के अंतर से पराजित हुए। वर्तमान में, कन्हैया कुमार कांग्रेस के नेता हैं।
कन्हैया कुमार की उपलब्धियां
कन्हैया कुमार कई कार्यक्रमों में सत्तारूढ़ दल और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मुखर आलोचना के लिए जाने जाते हैं। कुमार की आत्मकथा, बिहार टू तिहाड़: माई पॉलिटिकल जर्नी अक्टूबर 2016 में प्रकाशित हुई थी। कन्हैया कुमार ने जेएनयू प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। कन्हैया कुमार एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद), एसएफआई (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) और एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के उम्मीदवारों को हराकर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष बनने वाले पहले एआईएसएफ सदस्य थे।