कभी पानी में गिरने से किसी की मौत नहीं होती है, मौत उसकी होती है जिसे तैरना नहीं आता…. इसलिए परिस्थितियों से भागने की बजाय उससे लड़ना चाहिए। ये पक्तियां सुनने के बाद आप को भी जीवन में निरंतर सीखने की ललक होने लगेगी। ये पंक्तियां है फेमस टीचर खान सर की है। जिनका नाम फैसल खान बताया जाता है और उनका जन्म स्थान देवरिया, उत्तर प्रदेश है। वह यहां के भाटपाररानी के मूल निवासी हैं।
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अगर आप सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म से जुड़े हैं चाहे वो इंस्टाग्राम, ट्वीटर, यूट्यूब हो या फिर अन्य तो आपको मोबाइल स्क्रॉल करते करते कभी न कभी खान सर का कोई न कोई वीडियो या वायरल रील जरुर नजर आ जाएगी। शायद ही कोई हो जो खान सर को न जानता हो। उनको चर्चिच बनाता है उनका बच्चों को पढ़ाने का अनोखा अंदाज।
उनका बचपन काफी मुश्किलों से भरा था…
उनके लिए कहा जाता है अगर कोई भी छात्र उनके किसी भी टॉपिक को एक बार सुन लें तो उसे भूल नहीं सकता वो टॉपिक आंखों के सामने उत्तर पुस्तिका की तरह छप जाता है। वजह है खान सर आज किसी भी परिचय के मोहताज नहीं है। एक वक्त ऐसा भी था जब खान सर वक्त और हालातों से लड़ रहे थे, जब कुछ न समझ आता तो गंगा नदी के किनारे टेंशन में बैठे रहते थे। खान सर ने एक यूट्यूब चैनल पर बताया कि कैसे उनका बचपन काफी मुश्किलों से भरा था और कैसे उन्होंने मेहनत और काबिलियत के बल पर टीचिंग की दुनिया में अपना नाम कमाया।
आज के समय में खान सर के हर वीडियो को लाखो करोड़ों व्यूज मिलते है। न जाने कितने बच्चे ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास में शामिल होते है और पढ़ते है। उनका मात्र एक उद्देश्य है कोई भी बच्चा सिर्फ इसलिए शिक्षा से वंचित न रहे कि उसके पास पढ़ाई के लिए पैसे नहीं है। इसलिए उनका यूट्यूब चैनल भी है जिस पर पूरी दुनिया के छात्र छात्राएं उनकी क्लास से जुड़ कर शिक्षा पाते है।
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एक चैनल में खान सर ने बताया कि खान सर एक संयुक्त परिवार में रहते थे। उनकी आर्थिक स्थिती इतनी अच्छी नहीं थी। उन्हें हर चीजें लिमिट में मिलती थी, यहां तक कि पेंसिल तक आधी दी जाती थी।
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके घर के सामने एक कॉलेज था। छुट्टी होने के बाद वो उसमें जाते थे और पेंसिल कॉपी आदि की तलाश करते थे। अगर कुछ मिल गया तो बहुत खुश होते थे। स्कूल में बाहर पड़े कचरे में से कुछ सादे पन्ने मिलते तो घर आकर उन्हें मां से सिलवाकर एक कॉपी बना लेते थे।
आर्मी में जाने का था सपना
उनके घर स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उनका जीवन विभिन्न असुविधाओं में गुजरा। जब उन्होंने आठवी पास की तो उनको सेना में जाने का जुनून चढ़ा। उन्होंने नौंवी में सैनिक स्कूल का एग्जाम दिया लेकिन सफल नहीं हुए। फिर उन्होंने पॉलिटेक्निक का एग्जाम दिया, लेकिन रैंक अच्छी नहीं आई। इसके बाद खान सर ने एनडीए की परीक्षा दी। इसमें भी वे मेडिकल में अनफिट हो गए। क्योंकि मेडिकल में उनका हाथ थोड़ा सा टेढ़ा निकल गया था। इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। क्योंकि खान सर बचपन से ही आर्मी में जाना चाहते थे।
घर की खराब आर्थिक स्थिती और टूटे सपने के साथ की नयी शुरुआत
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घर की खराब आर्थिक स्थिती और आर्मी में जाने का टूटे सपने के साथ किसी तरह उन्होने बीएससी की पढ़ाई पूरी की। यहां उनके तीन दोस्त सोनू, हेमंत और पवन ने अपनी पॉकेट मनी देकर खान सर की मदद करते थे। इसी बीच खान सर के दोस्त हेमंत ने ही उन्हें बच्चों को पढ़ाने की सलाह दी। इसके बाद एक बच्चे को होम ट्यूशन दिया और उस बच्चे ने टॉप किया। फिर उन्होंने दूसरे की कोचिंग में पढ़ाना शुरु कर दिया। तब केवल छह बच्चे पढ़ते थे। धीरे धीरे वह अपनी टीचिंग के अलग अंदाज की वजह से फेसम हो गए। इसके बाद कुछ पार्टनर्स की हेल्प से कोचिंग सेंटर खोला।
जेब में मात्र चालीस रुपए थे और घर जाने का किराया नब्बे…
छह महीने में ही उन्हे ऐसा लगने लगा कि वो लोग मेरा कोचिंग सेंटर हड़प लेना चाहते थे।आगे खान सर ने बताया कि उन लोगो ने उनका ऐसा हाल कर दिया था कि उनकी जेब में मात्र चालीस रुपए थे और घर जाने का किराया नब्बे रुपए था। तभी वो परेशान होकर गंगा किनारे जाकर बैठ गए। जब घर लौटे तो रात के दो बज गए थे। फिर नए सिरे से शुरुआत करने की ठानी और अपनी एक कोचिंग खोली। पुराने छात्रों की मदद से एक सेटअप तैयार किया।
जब ठुकरा दिया करोड़ो का ऑफर…
खान सर एक बार न्यूज़ चैनल से बात करते हुए बड़ी ही दिलचस्प कहानी शेयर की, उन्होंने कहा कि एक बार एक कोचिंग की तरफ से उन्हें पढ़ाने के लिए 107 करोड़ का ऑफर दिया गया, लेकिन खान सर ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने आगे कहा कि हमें यह बात अच्छी तरह से पता है कि हम पूरी जीवन में कभी भी 107 करोड़ रुपया नहीं कमा पाएंगे, लेकिन हमने उन्हें मना कर दिया। हमने अपना जीवन गरीब छात्रों के लिए समर्पित कर दिया है। हमारी पढ़ाई समाज में सबसे पिछले वंचित गरीब बच्चों के लिए है। हम उन्हें कम से कम कीमत पर इस पर बेस्ट एजुकेशन देने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है जिन छात्रों के पास देने के लिए फीस नहीं है उन्हे मुफ्त में पढ़ाते हैं और लाखों करोड़ो छात्र घर बैठे ऑनलाइन उनकी क्लास में पढ़ते है।
बम को भी पता है टीचर की इज्जत किया जाता है…
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यूट्यूब के एक चैनल में दिए इंटरव्यू में उन्होंने एक किस्सा शेयर किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि एक बार किसी ने उनकी कोचिंग में बम से हमला किया था, जिसमें कोचिंग के फर्नीचर और कई नुकसान हो गया था। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि एक बम तो उनके पैर के पास भी बम गिरा था जो फटा नहीं था। इस बात पर उन्होंने कहा था कि बम को भी पता है कि टीचर की इज्जत किया जाता है।