नई दिल्ली। देश में केंद्र सरकार इन्फ्लुएंजा-A (Influenza-A) वायरस के सब-टाइप H3N2 के कहर को लेकर सरकार ने अलर्ट जारी कर चुकी है। देश में इस वायरस से अब तक दो लोगों की मौत हो गई है । पहली हरियाणा में और दूसरी कर्नाटक में। वहीं पांच राज्यों में पचास से अधिक मरीज सामने आए हैं। देश भर में कोरोना की तरह ही इन्फ्लुएंजा-A ने खौफ पैदा करना शुरू कर दिया है।
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जानकार बता हैं कि प्रकृति में 130 से अधिक प्रकार के इन्फ्लुएंजा हैं। हर मौसम में इसके अलग अलग टाइप लोगों को संक्रमित करते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 मार्च को एक बयान जारी कर बच्चों, वयस्कों और खासतौर पर बुजुर्गों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। इन्फ्लुएंजा ए का वायरस दूसरे लोगों के बीच भी फैल सकता है।
H3N2 कितनी तेजी से फैलता है?
H3N2 से संक्रमित यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के निकट संपर्क में आता है तो स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है। छींकने और खांसने से वायरस फैलता है। यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी सतह को छूता है जिस पर वायरस मौजूद है और वह अपनी नाक या मुंह को छूता है, तो वह H3N2 से संक्रमित हो सकता है।
इन्फ्लुएंजा A के लक्षण
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने बताया कि H3N2 से पीड़ित मरीजों में अत्यधिक तेज बुखार होता है। सांस लेने में तकलीफ होती है। मरीजों को तेज खांसी होती है, कुछ को निमोनिया भी हो जाता है। ICMR के अनुसार H3N2 से प्रभावित गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन की भी जरूरत होती है। कुछ ज्यादा गंभीर मरीजों को ICU में भी भर्ती कराना पड़ता है।
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डॉक्टरों के मुताबिक पिछले सालों की तुलना में H3N2 के लक्षण थोड़े अलग और अधिक गंभीर हैं। बहुत से मरीज़ लगातार खांसी की शिकायत कर रहे हैं। फ्लू ठीक होने के बाद भी खांसी हफ्तों तक ठीक नहीं होती। डॉक्टरों के मुताबिक H3N2 कभी-कभी फेफड़ों में भी एक खास प्रकार का सूजन पैदा कर सकता है। यह कोरोना की तरह फैल रहा है।
H3N2 इन्फ्लूएंजा है तो न बरतें लापरवाही
इन्फ्लुएंजा वायरस चार प्रकार के होते हैं : ए, बी, सी और डी। आमतौर पर मौसमी बीमारी जिसे हम फ्लू के तौर पर जानते हैं ।वह इन्फ्लुएंजा ए और बी वायरस के कारण होती है। मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस से सांसों मेें तकलीफ होती है। यह गले पर भी प्रहार करता है।
H3N2 का इलाज कैसे किया जा सकता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मौसमी इन्फ्लूएंजा के उपचार के लिए ओसेल्टामिविर (Oseltamivir) दवा की सिफारिश की है। डब्ल्यूएचओ कम से कम पांच दिनों तक इलाज की सलाह देता है। अगर किसी व्यक्ति को अस्थमा है, तो उसे corticosteroids दिए जा सकते हैं।
कब तक मिलेगी इस इन्फ्लूएंजा से राहत?
भारत में मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामले अक्सर जनवरी से मार्च तक और मानसून के बाद के मौसम में बढ़ जाते हैं लेकिन इस साल इसके मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। हालांकि भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मार्च के अंत से मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में कमी आने की उम्मीद है।