kundali me chandrama ka prabhav : कुंडली में विभिन्न ग्रहों का महत्व समय के साथ बदलता रहता है। किसी भी भाव का कोई भी ग्रह चाहे वह बलवान हो या कमजोर, अपने आप कोई फल नहीं देता है। व्यक्ति के जीवन में आगे बढ़ने के साथ-साथ कुंडली में विभिन्न ग्रहों का महत्व अलग-अलग होता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने जीवन के किसी खास पड़ाव पर किसी भी ग्रह की भूमिका को समझ लें। आम तौर पर चंद्रमा, शुक्र, बृहस्पति और बुध को लाभकारी ग्रह माना जाता है और सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु को हानिकारक (हानिकारक) ग्रह माना जाता है। प्रत्येक ग्रह हमारे व्यक्तित्व के एक पहलू का प्रतिनिधित्व करता है। आइये जानते है चंद्रमा के गुण और प्रभाव के बारे में।
पढ़ें :- 06 मई 2024 का राशिफलः सोमवार के दिन इन राशि के लाोगों के कार्यक्षेत्र में हो सकता है विस्तार
चंद्रमा हमारी भावनाओं, इंद्रियों, वृत्ति, अंतर्ज्ञान और अचेतन स्वयं को दर्शाता है। आपके जन्म के समय चंद्रमा जिस चिन्ह में था, वह एक निश्चित आंतरिक पहचान को दर्शाता है। यह हमें दिखाता है कि हम स्वयं की देखभाल के माध्यम से खुद को सर्वोत्तम पोषण कैसे करते हैं। चूंकि चंद्रमा तेजी से चलता है। आदत, व्यवहार और पूर्वाग्रह चंद्रमा द्वारा शासित होते हैं। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मनुष्य का मन, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, माता, छाती, ह्रदय आदि का कारक होता है।चंद्रमा बारा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। जातक के जन्म समय चन्द्रमा जिस राशि में स्थित होगा, वो राशि जातक की राशि कही जाती है, उस राशि के स्वभाव के अनुसार जातक की सोच और मानसिक स्थिति का ज्ञान होता है।
चंद्रमा का बीज मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः