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उरी से गिरफ्तार Lashkar-e-Taiba का आतंकी बोला- भारतीय सेना बहुत अच्छी, झूठ बोलता है Pakistan

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के उरी सेक्टर (Uri Sector) में पकड़े गए लश्कर -ए -तैयबा (Lashkar-e-Taiba)  के आतंकी अली बाबर पात्रा  (Terrorist Babur) ने मीडिया के सामने बड़ा खुलासा किया है। उसने बताया कि उसे घुसपैठ के लिए 30 हजार रुपये दिए गए थे। इसमें 20 हजार रुपये मां के इलाज के लिए दिए गए थे। मुजफ्फराबाद कैंप (Muzaffarabad Camp) में उसे लश्कर ने ट्रेनिंग दी थी। बाबर पाकिस्तान के पंजाब का रहने वाला है। उसने माना कि बहला फुसलाकर उसे कश्मीर में घुसपैठ के लिए भेजा गया। आतंकी ने बताया कि उसका नाम अली बाबर पात्रा   है, जबकि पहचान पत्र में इमादुल्लाह (Imadullah) लिखा है।

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बाबर पाकिस्तान (Pakistan) पंजाब के ओकारा जिले के दीपलपुर का रहने वाला है। उसने कहा कि 2014 में पिता की मौत के बाद उसके घर की हालत ठीक नहीं थी और उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी। नौकरी के लिए वो सियालकोट गया, जहां उसकी मुलाकात लश्कर और आईएसआई (ISI)  के लिए युवकों को जुटाने वाले अनस से हुई। बाबर ने बताया कि उसे 20 हजार रुपये दिए गए और बाद में 30 हजार रुपये और देने का वादा किया गया।

वीडियो संदेश में अली बाबर पात्रा  ने कहा कि पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) , आईएसआई (ISI)  और लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) कश्मीर की स्थिति के बारे में झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा  कि हमें बताया गया था कि भारतीय सेना रक्तपात कर रही है, लेकिन यहां सब कुछ शांतिपूर्ण है। मैं अपनी मां को बताना चाहता हूं कि भारतीय सेना ने मेरी अच्छी देखभाल की है।

उसने यह भी कहा कि भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों का उस शिविर का दौरा करने वाले स्थानीय लोगों के साथ व्यवहार बहुत अच्छा था जहां उन्हें रखा गया था। पात्रा ने कहा कि मैं लाउडस्पीकर पर दिन में पांच बार अजान सुन सकता हूं। भारतीय सेना (Indian Army) का व्यवहार पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) के बिल्कुल विपरीत है। इससे मुझे लगता है कि कश्मीर में शांति है।

उसने कहा कि इसके विपरीत, वे हमें यहां भेजने के लिए पाकिस्तानी कश्मीर में हमारी लाचारी का फायदा उठाते हैं। आतंकी पात्रा ने कहा कि उसने सात साल पहले अपने पिता को खो दिया और आर्थिक तंगी के कारण उसे स्कूल छोड़ना पड़ा था। उसने कहा कि मैंने सियालकोट में एक कपड़ा कारखाने में नौकरी की, जहां मैं अनस से मिला, जो लश्कर-ए-तैयबा के लिए लोगों की भर्ती करता था।

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उसने बताया कि पहले उसे आईएसआई (ISI) के हवाले किया गया और फिर पाकिस्तानी फौज (Pakistan Army)से उसकी ट्रेनिंग खैबर देलिहाबुल्लाह में हुई। बाबर ने बताया कि उसे आतंकी ट्रेनिंग देने वाला पाकिस्तानी आर्मी (Pakistan Army) का रिटायर्ड अफसर अबु हंजाला था। उसे एके-47 चलाने, ग्रेनेड फेंकने की ट्रेनिंग दी गई। उसके साथ इस ट्रेनिंग में आठ और लोग थे। बाद में उन सभी को एके-47 और गोला बारूद से लैस किया गया।

बाबर ने बताया कि 18 सितंबर की रात हमने तार काटी, लेकिन अंदर दाखिल होते ही भारतीय सेना (Indian Army) के मुस्तैद जवानों से मुकाबला हो गया। 4 साथी वापस भाग गए, लेकिन भारतीय जवानों ने उन्हें घेर कर सरेंडर करने को कहा। अनस ने फायर कर भागना चाहा तो उसे ढेर कर दिया।

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