नई दिल्ली: हिन्दू पंचांग के अनुसार सभी महीनों में साल का ग्यारहवां महीना माघ मास का हिन्दूधर्म में विशेष महत्व होता है। यह महीना दान-पुण्य, धर्म-कर्म और त्याग का महीना माना जाता है। मघा नक्षत्र के नाम पर इस महीने का नाम माघ होता है।
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माघ ऐसा माह है जिसका हर दिन पवित्र माना जाता है। मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण यह महीना माघ कहलाता है। माना जाता है कि माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष ऊर्जा प्राप्त होती है।
पुराणों में कहा गया है कि इस माह पूजन-अर्चन एवं पवित्र नदियों में स्नान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। माघ माह में शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु का आरंभ होता है। इस मास में दान का विशेष महत्व है। तिल, कंबल दान में देने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस माह षटतिला एकादशी पर तिलों के जल से स्नान किया जाता है। तिल मिले जल का पान, तिल का भोजन एवं तिल दान करने से समस्त पापों का नाश होता है। इस माह में कृष्ण पक्ष में मौनी अमावस्या पर मौन धारण करना चाहिए। इस दिन मौन व्रत रखने से आत्मबल मिलता है।
माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी के दिन विद्या, बुद्धि, ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। विद्यार्थियों के लिए यह दिन विशेष है। इस माह में शुक्ल पक्ष अष्टमी को भीमाष्टमी कहते हैं। इस दिन पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण-त्यागे थे। माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा कहा जाता है। माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से सारे कष्टों का अंत होता है। माघ माह में कृष्ण पक्ष चतुर्थी को संकट चौथ व्रत रखा जाता है।
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माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी, सूर्य सप्तमी, आरोग्य सप्तमी या पुत्र सप्तमी नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य को गंगाजल से अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।