Maharashtra News: शिवसेना (उद्धव गुट) बनाम शिवसेना (शिंदे गुट) विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि शिंदे सरकार बनी रहेगी। इस फैसले के बाद शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कहा कि वह विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं लेगा। इसके लिए स्पीकर को जल्द फैसला लेने का आदेश दिया गया है। बेंच ने साफ कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना ही नहीं किया था और इस्तीफा दे दिया था। इसलिए हम उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर बहाल नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में एकनाथ शिंदे सरकार बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उद्धव ठाकरे खेमे के लिए सीधे तौर पर कोई राहत लेकर नहीं आया, लेकिन गवर्नर पर सवाल जरूर उठा दिए।
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सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से विवेक का प्रयोग भारत के संविधान के अनुसार नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर शिंदे गुट के विधायक राहुल रमेश शेवाले ने कहा कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार को यह बड़ी राहत है। अब प्रदेश को स्थिर सरकार मिलेगी। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट के आरोपों पर अपनी मुहर लगाई और तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले, स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले और भरत गोगावले (शिंदे गुट के नेता) की व्हिप की नियुक्ति को गलत ठहराया। कोर्ट ने मामले को सात जजों की बेंच को रेफर कर दिया।