Meen Sankranti 2025 : सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ मीन संक्रांति मनाई जाती है। यह विशेष दिन पर पुण्य स्नान, दान और धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। एक ज्योतिषीय घटना होती है। आत्मा के कारक ग्रह सूर्य के राशि परिवर्तन से संक्रांति का निर्माण होता है। सूर्य देव के इस गोचर से वातावरण में सकारात्मक बदलाव आता है। इस दिन का महत्व इसलिए है क्योंकि मीन राशि को अंतिम और समापन राशि माना जाता है और सूर्य के मीन राशि में प्रवेश से नए आशीर्वाद और ऊर्जा का संचार होता है। तो चलिए जानते हैं मार्च 2025 में कब मनाई जाएगी मीन संक्रांति।
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संक्रांतियाँ सौर चक्र के आधार पर मनाई जाती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार 14 मार्च को मीन संक्रांति का आयोजन होगा। पंचाग के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य देव 14 मार्च को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। जिस दिन सूर्य देव मीन राशि में गोचर करते हैं, उस दिन से खरमास की शुरुआत हो जाती है। हिन्दू धर्म में खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके बाद 14 अप्रैल में जब सूर्य देव अगली राशि में गोचर करेंगे तो खरमास समाप्त हो जाएगा।
पुण्य काल: दोपहर 12:39 PM से 06:29 PM तक
महा पुण्य काल: शाम 04:29 PM से 06:29 PM तक
ज्योतिष गणना के अनुसार मीन संक्रांति के दिन शिव वास योग का निर्माण हो रहा है और इसी के साथ उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का भी संयोग है। शिव वास योग दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा। इस दौरान महादेव मां गौरी के साथ कैलाश पर विराजमान होंगे। यदि कोई व्यक्ति इस समय पूजा-पाठ करता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
इस गोचर के दौरान मीन राशि में कई अन्य ग्रह भी एक साथ उपस्थित होंगे, जिससे सूर्य का युति बनेगा। मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं, और इस राशि में सूर्य का गोचर शुभ नहीं माना जाता है। सूर्य को पिता का कारक ग्रह माना जाता है, और यह व्यक्ति के जीवन में उन्नति और राजयोग प्रदान करता है । सूर्य सिंह राशि का स्वामी है।
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सकारात्मक ऊर्जा का संचार
मीन संक्रांति के समय भगवान सूर्य का पूजन और अर्चना करना चाहिए, जिससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
गाय को चारा खिलाना
इस माह दान-पुण्य करना, गाय को चारा खिलाना और गरीब व्यक्तियों को भोजन कराना भी महत्वपूर्ण है।
सूर्य मंत्र का जप
मीन संक्रांति के समय सूर्योदय से पूर्व जागकर अपनी दैनिक क्रियाओं को पूरा करें, फिर स्नान करके भगवान सूर्य की पूजा करें और सूर्य के मंत्र का जप करें। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
चना दाल का दान करें
भगवान विष्णु की पूजा करें और प्रत्येक गुरुवार को एक वृद्ध ब्राह्मण को भोजन कराएं, उन्हें वस्त्र दान करें और चना दाल का दान करें।