MLA Abbas Ansari Case: चित्रकूट जेल में अब्बास अंसारी को हाईप्रोफाइल कैदी होने के बावजूद हाई सिक्योरिटी बैरक में नहीं रखा गया था। जेल अधीक्षक ने उसे बिना किसी आदेश के क्वारंटीन बैरक में रखा, ताकि वह जेल की तीसरी आंख से बचकर पत्नी निखत से आसानी से मिल सके।
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चित्रकूट जेल में छापेमारी के बाद जांच करने पहुंचे पदावनत डीआईजी शैलेंद्र मैत्रेय ने पहले अपनी रिपोर्ट में इस अहम पहलू का जिक्र नहीं किया। जेल मुख्यालय ने शैलेंद्र मैत्रेय की पहली रिपोर्ट में तमाम खामियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए दोबारा रिपोर्ट सौंपने कहा तो उन्होंने दस्तावेजों का फिर से निरीक्षण किया।
इसमें अब्बास को 19 नवंबर को जेल में दाखिल कराते समय आदेश पुस्तिका एवं जेलर रिपोर्ट बुक में अधीक्षक या जेलर सुरक्षा से संबंधित कोई रिपोर्ट नहीं मिली। जबकि, दो माह पूर्व शासन के आदेश पर जब सपा विधायक नाहिद हसन को चित्रकूट जेल भेजा गया था, तो उसे क्वारंटीन बैरक में रखने का अधीक्षक ने बाकायदा आदेश जारी किया था।
वहीं अब्बास को उसकी पत्नी से अलग कमरे में मिलवाने को लेकर जब अधीक्षक और जेलर से पूछताछ की गई, तो उन्होंने कहा कि 14 मई 2021 को जेल में हुई गोलीबारी में तीन बंदियों की मौत की घटना के बाद सुरक्षा के दृष्टिगत अब्बास की निखत से इस कमरे में मुलाकात करायी जाती थी।
इनकी भूमिका भी संदिग्ध
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जेल वार्डर जगमोहन सिंह और सत्येंद्र कुमार: दोनों ने ड्यूटी पर तैनात रहने के दौरान अब्बास को निखत से मुलाकात करने के लिए किसी सक्षम प्राधिकारी से कोई आदेश नहीं लिया। इसके लिए न तो मुलाकात पर्ची देखी और न ही जांच की। बिना जांच के ही अंदर आने दिया। निखत के बैग की तलाशी भी नहीं कराई गई।
अभय प्रताप ने अब्बास को बिना तलाशी या आदेश के दूसरे गेट से जाने दिया। डीएम और एसपी की आकस्मिक चेकिंग के दौरान दूसरे गेट से चुपचाप वापस आने दिया।
कारागार में प्रवेश करने वालों की तलाशी का जिम्मा था। शिथिल पर्यवेक्षण की वजह से निखत मोबाइल, टिफिन आदि लेकर प्रवेश कर गई।
नियम विरुद्ध तरीके से मुलाकात को रोकने में असफल रहे। डीएम और एसपी की तलाशी के दौरान सहयोग नहीं किया, जिससे अब्बास को वापस बैरक में जाने का वक्त मिल गया।