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MRA–ISL Dispute: सुप्रीम कोर्ट ने AIFF और FSDL को एक हफ्ते में बातचीत से समाधान निकालने का दिया निर्देश; अगली सुनवाई 28 अगस्त को

By Abhimanyu 
Updated Date

MRA–ISL Dispute: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) और फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (FSDL) को निर्देश दिया कि वे एक साथ बैठकर एक सप्ताह के भीतर समाधान निकालें। एआईएफएफ और एफएसडीएल के बीच मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (एमआरए) को लेकर गतिरोध बना हुआ है। इस मामले में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की एक विशेष पीठ ने अगली सुनवाई की तारीख 28 अगस्त तय की है।

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दरअसल, एआईएफएफ और एफएसडीएल के बीच खिंचतान की वजह मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (एमआरए) है, यह एग्रीमेंट इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की प्रशासनिक रीढ़ है, जो वर्तमान में भारत की शीर्ष पुरुष फुटबॉल लीग है। वर्तमान एमआरए दिसंबर 2025 में समाप्त हो रहा है और भविष्य के एमआरए पर सहमति न बन पाने के कारण आईएसएल के 2025-26 सीज़न को 11 जुलाई को स्थगित कर दिया गया है।

परिणामस्वरूप, अगर लीग नहीं होती है, तो 13 में से 11 आईएसएल क्लबों को ‘विनाशकारी परिणाम’ भुगतने पड़ सकते हैं, और कई क्लबों ने अस्थायी रूप से अपना संचालन निलंबित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अप्रैल में दिए गए उसके पहले के निर्देश से उलट है, जिसमें उसने महासंघ से कहा था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट एआईएफएफ संविधान पर फैसला नहीं ले लेता, तब तक वह एफएसडीएल के साथ आगे कोई बातचीत न करे।

क्या है पूरा मामला

मुख्य मुद्दा आईएसएल का वित्तीय और संचालन मॉडल है। आईएसएल का भविष्य अधर में लटका हुआ है, जिससे आगामी 2025-26 सीज़न खतरे में पड़ सकता है। यह अनिश्चितता क्लबों, खिलाड़ियों और लीग में काम करने वाले सैकड़ों लोगों को प्रभावित करती है। एआईएफएफ एफएसडीएल से एक निश्चित वित्तीय प्रतिबद्धता चाहता है, जबकि एफएसडीएल एक लाभ-साझाकरण मॉडल को प्राथमिकता देता है, जिसे एआईएफएफ बहुत जोखिम भरा मानता है।

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अगर एफएसडीएल पुराने अनुबंध के तहत काम करने से इनकार कर देता है, तो स्थिति और भी मुश्किल हो जाएगी। अदालत एआईएफएफ को एफएसडीएल के नए प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती, न ही वह एफएसडीएल को लीग का संचालन जारी रखने के लिए बाध्य कर सकती है। अगर कोई समझौता नहीं होता है, तो आईएसएल सीज़न पूरी तरह से रद्द हो सकता है। इससे क्लबों की व्यापक वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी, क्लबों के बंद होने की संभावना बढ़ जाएगी, और भारतीय फुटबॉल के विकास को बड़ा झटका लगेगा।

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