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National Herald history: नेशनल हेराल्ड के 85 साल के सफर की जानें अब तक की कहानी?

By संतोष सिंह 
Updated Date

National Herald history: नेशनल हेराल्ड अब तक 85 सालों का सफर तय कर चुका है। एक समय था जब इस अखबार का तेवर इतना तीखा था कि ब्रिटिश सरकार ने इस अखबार को प्रतिबंधित करना पड़ा था। बता दें कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के दौर में ये समाचार पत्र उत्तर भारत में अपना दबदबा रखता था। इसके बाद में साल 2008 में एक ऐसा दौर आया जब इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा।

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बता दें कि नेशनल हेराल्ड केस में सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश हुए थे। इस केस पर अगर चर्चा करते हैं तो सामने आते हैं देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आजादी से पहले ही नेशनल हेराल्ड केस का प्रकाशन शुरू किया था। आइए तारीखों के आईने में इस केस पर नजर डालते हैं।

20 नवंबर 1937: एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की स्थापना हुई। यानी कि कंपनी के रूप में इसका रजिस्ट्रेशन हुआ।

9 सितंबर 1938: जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना की।

1938 : के. रामा राव इस अखबार के संपादक बनें। उन्होंने 1946 तक इस अखबार का संपादन किया।

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1942-1945 तक:  नेशनल हेराल्ड को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया।

1946 के बाद Manikonda Chalapathi Rau इस अखबार के संपादक बने। मणिकोंडा MC के बाइलाइन से लिखते थे। वे 1978 तक इस अखबार के संपादक रहे।

1978: प्रसिद्ध पत्रकार खुशवंत सिंह इस अखबार के संपादक बनें। हालांकि उनकी पारी यहां छोटी रही।

1990 से 1982 तक:  सुभारत भट्टाचार्य ने नेशनल हेराल्ड का संपादकीय दायित्व संभाला।

अगस्त 1947 : जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड बोर्ड के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया।

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1962-63: दिल्ली-मथुरा रोड पर 5-ए, बहादुर शाह जफर मार्ग, आईटीओ के पास AJL को 0.3365 एकड़ भूमि आवंटित की गई।

10 जनवरी, 1967: प्रिंटिंग प्रेस चलाने के लिए भवन निर्माण हेतू भूमि और विकास कार्यालय के द्वारा AJL के पक्ष में स्थायी लीज डीड तैयार की की गई। इस लीज में कहा गया कि इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं था।

1968 :  नेशनल हेराल्ड का दिल्ली संस्करण लॉन्च हुआ।

22 मार्च 2002: मोती लाल वोरा को AJL का चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।

साल 2008: अखबार के संचालन के दौरान AJL को भारी नुकसान हुआ और अखबार का संचालन बंद कर दिया गया।

नवंबर 2010: यंग इंडिया नाम की एक कंपनी का गठन हुआ। इस कंपनी में 38 फीसदी हिस्सेदारी सोनिया गांधी की थी और 38 फीसदी हिस्सेदारी राहुल गांधी की थी।

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दिसंबर 2010: AJL के ऊपर कांग्रेस के 90 करोड़ रुपये बकाया होने की खबर सामने आई।

29 दिसंबर 2010: रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार इस तारीख को AJL के शेयरधारकों की संख्या 1057 थी।

26 फरवरी 2011: कांग्रेस ने AJL की 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसका अर्थ ये हुआ कि पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया।

2011: यंग इंडिया लिमिटेड ने 90 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार को प्राप्त करने के लिए AJL को मात्र 50 लाख रुपये का भुगतान किया था। यंग इंडिया ने इस 50 लाख के बदले कर्ज को माफ कर दिया और AJL पर यंग इंडिया का नियंत्रण हो गया।

1 नवंबर 2012: सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में एक निजी शिकायत दर्ज की। इसमें आरोप लगाया गया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ने निजी कंपनी यंग इंडिया के जरिए AJLका अधिग्रहण कर धोखाधड़ी और जमीन हथियाने का काम किया है।

2 नवंबर 2012: कांग्रेस ने सफाई दी कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड अखबार को फिर से चलाने के लिए AJL को लोन दिया था।

7 जनवरी 2013: भूमि और विकास ऑफिस ( L&DO) ने AJL को व्यावसायिक उद्देश्यों के इमारतों को किराये पर देने का अधिकार दिया।

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2014: ED ने इस केस की जांच शुरू की। ED यह पता लगाना चाहती थी कि क्या इस केस में किसी तरह की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है या नहीं।

26 जून 2014: अदालत ने सोनिया और राहुल गांधी को आरोपी के रूप में अदालत में समन किया।

19 दिसंबर 2015: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत दूसरे आरोपियों को पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी।

2016: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी।

1 अक्टूबर 2016: नीलाभ मिश्रा को AJL के डिजिटल अवतार का संपादक नियुक्त किया गया।

14 नवंबर 2016 : नेशनल हेराल्ड अंग्रेजी का वेबसाइट लॉन्च किया गया।

5 अक्टूबर 2016: L&DO ने AJL को नोटिस जारी किया और कहा कि AJL की संपत्ति का इस्तेमाल प्रेस के कामों के लिए नहीं किया जा रहा है।

अक्टूबर 2018: दिल्ली हाई कोर्ट ने AJL को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया।

फरवरी 2019: गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा।

5 अप्रैल 2019: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी।

1 जून 2022: ED सोनिया गांधी और राहुल गांधी को हाजिर होने का नोटिस भेजा।

13 जून 2022: राहुल गांधी दिल्ली में ED दफ्तर में पेश हुए।

सोनिया गांधी को भी समन किया गया है, लेकिन बीमारी के कारण वो अस्पताल में भर्ती हैं, लिहाजा अभी वो पेश नहीं हुई हैं।

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