Navratri Puja Mantra : सनातन जीवन संस्कृति में शारदीय नवरात्रि पूजा का विशेष अवसर आज से आरंभ हो गया है। आज नवरात्रि के प्रथम दिवस पर देवी भगवती के 9 स्वरूपों में पहली शक्ति मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, शारदीय नवरात्रि पूजा का एक एक क्षण महत्वपूर्ण है। नवरात्रि में विशेष शक्ति की साधना का विधान है। नवरात्रि में विचारण करने वाली इस शक्ति को समझना जरूरी है। पौराणिक मान्यता है कि मंत्र जाप से माता शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। देवी शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। देवी भागवत के अनुसार देवी दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप ने देवासुर संग्राम के पहले दिन राक्षसों का वध किया था। हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के बाद सबसे पहले मां शैलपुत्री की विशेष पूजा की जाती है। आइए मां शैलपुत्री की पूजा विधि और महत्व के बारे में जानें।
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मां शैलपुत्री की पूजा विधि
मान्यताओं के अनुसार उनका जन्म हिमालय पर्वत में हुआ था, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। मां शैलपुत्री को साहस, स्थिरता और सौभाग्य की देवी माना जाता है। इन्हें वृषारूढ़ा, उमा और हेमवती नामों से भी जाना जाता है। देवी पूजा की आरती करने से पहले माता के प्रार्थना मंत्र को पढ़ें और उसके बाद ‘ॐ शं शैलपुत्रये फट्’ मंत्र का कम से कम एक माला जप करें। पूजा के अंत में मां शैलपुत्री की आरती करें तथा प्रसाद बांटें।
मंत्र
वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम।
वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम।
भोग
शैलपुत्री माता को गाय के दूध से बनी खीर का भोग अत्यंत प्रिय है। इसके साथ ही सफेद मिष्ठान जैसे रसगुल्ला या मलाई बर्फी भी अर्पित कर सकते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।