नई दिल्ली। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru) ने हमें राजनीति नहीं सिखाई। उन्होंने हमें डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना सिखाया। उन्होंने भारतीयों को उत्पीड़न का विरोध करने और अंततः स्वतंत्रता का दावा करने का साहस दिया। उनकी सबसे बड़ी विरासत सत्य की उनकी अथक खोज में निहित है। एक सिद्धांत जिसने उनके द्वारा समर्थित हर चीज को आकार दिया। वह खुद को नेता के रूप में नहीं देखते बल्कि सत्य का साधक (सीकर ऑफ ट्रुथ) मानते हैं। यह बात लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Lok Sabha Leader of Opposition Rahul Gandhi) ने एक इंटरव्यू में कही।
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Nehru didn’t teach us politics – he taught us to confront fear and stand for the truth. He gave Indians the courage to resist oppression and ultimately claim freedom.
His greatest legacy lies in his relentless pursuit of truth – a principle that shaped everything he stood for. pic.twitter.com/chnckg02DB
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 19, 2025
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पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के साथ एक पॉडकास्ट का राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर वीडियो शेयर किया है। पॉडकास्ट के दौरान उन्होंने कहा कि राजनीति उनके लिए सत्ता या छवि बनाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सच की तलाश है। उन्होंने अपने परिवार की विरासत और विचारधारा को भी विस्तार से समझाया।
राहुल गांधी ने कहा नेहरू ने हमें सिखाया कि कैसे अत्याचार का विरोध करना चाहिए और सच के साथ खड़ा रहना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘सच की खोज’ ही सबसे बड़ी विरासत है। उन्होंने कहा कि यह सोच उनके पूरे परिवार में रही है। मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी, सभी ने राजनीति को एक सत्य की खोज के रूप में देखा, न कि केवल पद या लोकप्रियता पाने के रूप में नहीं।
मैं भी खुद को राजनेता नहीं मानता, मैं एक ऐसा इंसान हूं जो सच की तलाश में है
कांग्रेस नेता ने कहा कि मेरी दादी इंदिरा गांधी कभी खुद को सिर्फ एक राजनेता नहीं मानती थीं। वो बस अपना जीवन पूरी सच्चाई के साथ जीती थीं। मैं भी खुद को राजनेता नहीं मानता, मैं एक ऐसा इंसान हूं जो सच की तलाश में है। उन्होंने यह भी कहा कि नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी इस बात की परवाह नहीं करते थे कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे। वे सिर्फ वही करते थे जो उन्हें सही लगता था। वे इस बात से प्रेरित नहीं होते थे कि 20-30 साल बाद लोग क्या कहेंगे।
‘आज के दौर में सच बोलना आसान नहीं’ मैं झूठ नहीं बोल सकता, चाहे मुझे नुकसान ही क्यों न हो?
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राहुल गांधी ने यह भी माना कि आज के दौर में सच बोलना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि आज लोग सच नहीं सुनना चाहते। राजनीति में यह आसान है कि जो लोग सुनना चाहते हैं, वही बता दो लेकिन मेरी आत्मा ऐसा करने की इजाज़त नहीं देती। मैं झूठ नहीं बोल सकता, चाहे मुझे नुकसान ही क्यों न हो। उन्होंने महात्मा गांधी और नेहरू के विचारों की तुलना करते हुए कहा कि गांधी जी अपने अंदर झांकते थे और नेहरू जी दुनिया और भविष्य को समझना चाहते थे। दोनों में गहराई थी पर सोचने का तरीका अलग था।
अमेरिकी टैरिफ शुल्क के आगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झुक गए, जबकि नेहरू और इंदिरा ऐसी परिस्थिति में कभी नहीं झुकते
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने इस संवाद के दौरान अमेरिकी टैरिफ शुल्क से जुड़े विषय का भी उल्लेख किया और दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झुक गए, जबकि नेहरू और इंदिरा ऐसी परिस्थिति में कभी नहीं झुकते। उन्होंने अपने परिवार के राजनीतिक दर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति वास्तव में सत्य के लिए होती है।
उन्होंने दावा किया कि आज देश में भयंकर बेरोजगारी है। देश का पूरा आर्थिक तंत्र विफल हो चुका है। देश में सद्भाव का अभाव है। यह सच्चाई है और इसे आपको स्वीकार करना पड़ेगा। राहुल गांधी का कहना था कि इस स्थिति से भारत के भविष्य को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि गांधी, नेहरू, आंबेडकर, पटेल और बोस ने वास्तव में यही सिखाया कि डर से दोस्ती कैसे करें? राहुल गांधी ने कहा,कि महात्मा गांधी एक साम्राज्य के सामने खड़े हुए और उनके पास सच्चाई के अलावा कुछ नहीं था।उन्होंने कहा,कि चाहे मैं बिल गेट्स से बात करूं या रामचेत मोची से, मैं उनसे समान जिज्ञासा के साथ मिलता हूं।