लखनऊ । उत्तर भारत में सर्वप्रथम लखनऊ विश्वविद्यालय फिलोसॉफिकल काउंसलिंग का पाठ्यक्रम स्नातक स्तर पर उपलब्ध कराने जा रहा है। यह कोर्स उच्च कोटि के प्रशिक्षित व्यक्तियों का सृजन करेगा जो संस्थाओं के अतिरिक्त बच्चों एवं युवाओं को नैतिक व दार्शनिक परामर्श प्रदान करने में समर्थ होंगे।
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इस परामर्श में पांच प्रकार की विधियों का प्रयोग होता है: आलोचनात्मक विश्लेषण, प्रत्यय आत्मक विश्लेषण, संवृत्ति शास्त्र, वैचारिक प्रयोग, एवं रचनात्मक चिंतन। मूल्यांकन तथा नैतिक समस्याओं के समाधान हेतु व्यापारिक संस्थाओं बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं व्यक्तियों को इस समय इस प्रकार के परामर्श की अत्यधिक आवश्यकता है।
इसका नया स्वरूप अमेरिका में भी 1980 के उपरांत ही विकसित हुआ जहां बहू संस्कृतिक समाज को बिना पारस्परिक संघर्ष के साथ चलने की समस्या है। भारतीय परंपरा में कृष्ण एवं बुद्ध के उपदेश याज्ञवल्क्य नचिकेत संघवाद की परंपरा को इस आधुनिक परामर्श के साथ जोड़ा जाएगा। यह जीवन की समस्याओं को देखने का एक गैर चिकित्सीय प्रारूप है।
दर्शन विभाग ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बाल गणपति से औपचारिक भाषण द्वारा इस कोर्स की भूमिका तैयार कर ली है। दर्शन विभाग अपने नए सत्र में अंबेडकर एवं गांधी पर विशेष बल दे रहा है। विभाग इस वर्ष शिक्षा दर्शन का भी विकल्प दे रहा है।