Hyderabad: पीएम नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में आरएसएस के ज़िक्र पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने इसे स्वतंत्रता संग्राम का अनादर बताया है। ओवैसी ने कहा कि जब पीएम मोदी ने आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया, तो मैंने इसका विरोध नहीं किया क्योंकि वह खुद आरएसएस के सदस्य हैं और हमेशा रहेंगे। लेकिन जब वह प्रधानमंत्री के रूप में बोल रहे हैं, तो उन्हें ऐसी बातों से बचना चाहिए।
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हैदराबाद से एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “हर प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर लोगों को संबोधित करते हुए उन्हें बताता है कि सरकार ने उनके लिए क्या किया है। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के 100 साल पूरे होने की बात कही। मेरा मानना है कि यह देश के स्वतंत्रता संग्राम का अनादर है, क्योंकि आरएसएस ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था; बल्कि उन्होंने अंग्रेजों की मदद की थी। आरएसएस को अंग्रेजों से भी ज़्यादा नफ़रत स्वतंत्रता सेनानियों से थी। आरएसएस ने हमेशा समावेशी राष्ट्रवाद का विरोध किया है। हिंदुत्व की विचारधारा भारत के संविधान के बिल्कुल ख़िलाफ़ है।”
ओवैसी ने आगे कहा, “आरएसएस की शपथ एक ही समुदाय के धर्म, समाज और संस्कृति की बात करती है… 1941 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल कैबिनेट में मंत्री थे, तब फ़ज़लुल हक़ उसका नेतृत्व कर रहे थे, जिन्होंने 1940 के लाहौर अधिवेशन में मुस्लिम लीग का पाकिस्तान प्रस्ताव पेश किया था। और आज प्रधानमंत्री उनके बारे में बात कर रहे हैं। हम दार्शनिक रूप से भाजपा के ख़िलाफ़ थे और हमेशा रहेंगे।”