Pariksha Pe Charcha : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छात्रों के साथ में परीक्षा पे चर्चा कर रहे हैं। पीएम मोदी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। छोटा पड़ाव है। हम एग्जाम देते-देते एग्जाम प्रूफ हो गए हैं। अब इसका अनुभव आपकी ताकत है। मेरा सुझाव है कि बोझ के साथ जीना है या जो तैयारी की है उसपर विश्वास के साथ आगे बढ़ना है। तनाव को पनपने मत दीजिए। अपनी सामान्य दिनचर्या को ही जारी रखें।
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— Narendra Modi (@narendramodi) April 1, 2022
पीएम मोदी (PM Modi) ने बच्चों से कहा कि वह इस साल नया साहस करने वाले हैं। समय-सीमा के समाप्त होने के बाद भी वह छात्रों के सवालों के जवाब देंगे। इसके लिए टेक्स्ट, नमो एप आदि की मदद ली जाएगी। इस दौरान दिल्ली की छात्रा खुशी ने पीएम मोदी (PM Modi) से पहला सवाल करते हुए पूछा कि परीक्षा के समय घबराहट और तनाव से कैसे निपटे?
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ऑनलाइन पढ़ाई पर भी हुए सवाल
पीएम मोदी (PM Modi) से ऑनलाइन एजुकेशन (Online Education) पर छात्रों और शिक्षकों दोनों ने सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा चुनौतिपूर्ण (Online Education Challenging) है। इसमें कैसे सुधार लाया जाए। पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि जब आप ऑनलाइन होते हैं तो पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं? पीएम ने कहा कि दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं हैं। जब आपका दिमाग कहीं और हो तो सुनना ही बंद हो जाता है। जो चीजें ऑफलाइन हैं। वही चीजें ऑफलाइन भी हैं।
पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा (Online Education) को समस्या नहीं बल्कि अवसर मानना चाहिए। माध्यम नहीं बल्कि मन समस्या है। ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन अवसर के लिए हैं। जीवन में खुद से जुड़ना जरूरी। दिन में कुछ समय ऑफलाइन-ऑनलाइन (Offline -Online) के बजाय इनर लाइन भी रहें।
आशाओं का अपने बच्चों पर बोझ नहीं बढ़ाना चाहिए
परीक्षा पे चर्चा (Pariksha Pe Charcha) के दौरान छात्राओं ने पीएम मोदी से सवाल किया की क्या परीक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। घरवालों और शिक्षकों से डरें या फिर इसे त्योहार की तरह मनाना चाहिए? इस पर पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि शिक्षक और परिजन जो अपने बाल काल में नहीं कर पाए वह चाहते हैं उसे बच्चा पूरा करें। हम बच्चों की सीमा अपेक्षा और खूबी को बिना पहचाने धक्का मारते हैं। अपने आशाओं के कारण बच्चों पर बोझ नहीं बढ़ाना चाहिए। पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि शिक्षक और परिजन की बात भी सुननी है और हमें उन चीजों पर भी ध्यान देना है कि हम किसमें सामर्थ्य हैं।
पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि 20वीं सदी की नीति और सोच को लेकर 21वीं सदी का निर्माण असंभव है। नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के लागू होने की देरी से देश का नुकसान हुआ। इस नीति में छात्रो को कहीं अधिक मौके मिले हैं। अगर कोई छात्र किसी कोर्स में प्रवेश ले चुका है और उसे आगे लगे की वह कुछ और करना चाहता है तो उसके लिए नई शिक्षा नीति में मौका है।
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नई शिक्षा नीति का देश में पुरजोर स्वागत
पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि न्यू नहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी कहना चाहिए। दुनियाभर में शिक्षा के नीति के निर्धारण में इतने लोगों को शामिल करना एक रिकॉर्ड है। ग्रामीण, शहरी, छात्र और छात्राओं सभी स्तर पर चर्चा और शोध कर के ड्राफ्ट तैयार किया गया। इसके बाद इसे लोगों के पास भेज कर लाखों इनपुट्स लिए गए उसके बाद इसे लाया गया। खेल-कूद को इसमें अनिवार्य किया गया। देश के हर तबके ने इसका पुरजोर स्वागत किया है।