नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में 75 पार के नेताओं को कैबिनेट में नहीं रखा था। वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी तक को मार्गदर्शक मंडल तक सीमित कर दिया था। उसी दौरान पार्टी में स्पष्ट कर दिया गया था कि चुनाव लड़ने की अधिकतम आयु सीमा 75 साल है। बीजेपी शासित राज्यों में भी यही फॉर्मूला अपनाया गया।
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भारतीय जनता पार्टी ने अपने नेताओं के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृति की उम्र 75 वर्ष तय की है। गुजरात में मुख्यमंत्री रहीं आनंदीबेन पटेल को 75 की उम्र पार होते ही कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने यह आयु सीमा पूरी होने से महीने पहले ही पद छोड़ दिया था। इतना ही नहीं फेसबुक पोस्ट में उम्र ही उन्होंने इस्तीफे की वजह बताई थी। लेकिन देश के सियासी हालात में हो रहे बदलाव के बीच बीजेपी अपने इस फॉर्म्युले में ढील देती नजर आ रही है।
दरअसल, ताजा हालत कुछ ऐसा बयान कर रहें है जिससे बीजेपी की ये कथित बाते झूठी होती चली जा रहीं हैं। सूत्रों की माने तो देश में मेट्रोमैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन को केरल राज्य के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की खबर श्री धरन 88 साल का आकड़ा पार कर चुके हैं। आप आप इस बात का खुद ही अंदाजा लगा सकतें हैं कि बीजेपी बेहद चतुराई से अघोषित सिद्धांत में कितनी आसानी से फेरबादल कर रही है।
खबरों की माने तो ई. श्रीधरन को केरल में सीएम उम्मीदवार घोषित किया गया फिर कुछ ही देर के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन ने यू टर्न ले लिया। कुछ ही देर बाद पार्टी के केरल प्रमुख सुरेंद्रन ने भी इसका खंडन कर दिया। मामले पर नजर डाले तो ऐसा प्रतीत होता है कि घोषणा से पहले भाजपा की राज्य ईकाई ने इस मामले में केंद्रीय नेतृत्व को विश्वास में नहीं लिया था। यह फैसला ना तो केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में लिया गया और ना ही पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह आदि दिग्गजों को विश्वास में लिया गया। कहा जा रहा है यह चूक ही पार्टी की राज्य ईकाई को भारी पड़ गई और उसे मामले में यू टर्न लेना पड़ा।