अयोध्या। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने के बाद पहली बार करीब 500 वर्षों के बाद रामनवमी (Ram Navami) का त्योहार मनाया जा रहा है। इसे लेकर पूरे नगर में हर्षोल्लास का माहौल है। आज के इस विशेष दिन के लिए सुबह से नगर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। बुधवार को सुबह सबसे पहले रामलला (Ram Lalla) को दिव्य स्नान कराया गया है। रामलला (Ram Lalla) को पंचामृत स्नान के बाद इत्र लेपन किया गया।
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श्री राम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या से प्रभु श्री रामलला सरकार के मंगल जन्मोत्सव का सीधा प्रसारण
LIVE webcast of Mangal Janmotsav of Prabhu Shri Ramlalla Sarkar, from Shri Ram Janmabhoomi Mandir, Ayodhya https://t.co/WQKw2u10pe— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) April 17, 2024
भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक हो गया है। रामनवमी पर अयोध्या में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है। रामलला का सूर्य अभिषेक दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर हुआ। सूर्य की किरणें रामलला के चेहरे पर पड़ी। करीब 75 मिमी का टीका राम के चेहरे पर बना। दुनिया भक्ति और विज्ञान के अद्भुत संगम को भक्तिभाव से निहारती रही। यह धर्म और विज्ञान का भी चमत्कारिक मेल रहा। इस सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिकों ने कई महीने से तैयारी की। इसके लिए कई ट्रायल किए गए। आज दोपहर में जैसे ही घड़ी में 12 बजकर 01 मिनट हुए सूर्य की किरणें सीधा राम के चेहरे पर पहुंच गईं। 12 बजकर एक मिनट से 12 बजकर 6 मिनट तक सूर्य अभिषेक होता रहा।
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पांच मिनट तक बना रहा टीका
वैज्ञानिकों ने बीते 20 वर्षों में अयोध्या के आकाश में सूर्य की गति अध्ययन किया है। सटीक दिशा आदि का निर्धारण करके मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस स्थापित किया है। सूर्य रश्मियों को घुमा फिराकर रामलला के ललाट तक पहुंचाया गया। सूर्य की किरणें ऊपरी तल के लेंस पर पड़ीं। उसके बाद तीन लेंस से होती हुई दूसरे तल के मिरर पर आईं। अंत में सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप में दैदीप्तिमान होती रहीं और ये लगभग चार मिनट तक टिकी रहीं।
सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक खास ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इसमें मंदिर के सबसे ऊपरी तल (तीसरे तल) पर लगे दर्पण पर ठीक दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पडे़ंगी। दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणे एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरा दर्पण लगा है। इस दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी।
तीन लेंसों से होकर गुजरीं किरणें
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दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़ेंगे, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी। लंबवत पाइप जाती है। लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर एक और दर्पण लगा है। बढ़ी हुई तीव्रता के साथ किरणें इस दर्पण पर पड़ेंगी और पुन: 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर पड़ेंगी। इस तरह से राम लला का सूर्य तिलक पूरा होगा।
रामलला को दुग्ध व पंचद्रव्यों से कराया गया स्नान
श्री राम नवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।
Divya Abhisheka of Prabhu Shri Ramlalla Sarkar at Shri Ram Janmabhoomi Mandir, on the pious ocassion of Shri Ram Navami. pic.twitter.com/U4HaE5yFyg
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) April 17, 2024
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रामलला को स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार किया गया। दिव्य स्नान और श्रृंगार के बाद रामलला की प्रतिमा अद्भुत नजर आ रही थी। प्रतीकात्मक रूप में भी रामलला की सूक्ष्म प्रतिमा का दिव्य स्नान कराया गया।