गोरखपुर: मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में 20 साल से सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि शुक्रवार शाम करीब साढ़े 7 बजे रिहा हो गए। अमरमणि और उनकी पत्नी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड नंबर-16 में भर्ती थे।
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अमरमणि की रिहाई की खबर मिलते ही उनकी कर्मभूमि महाराजगंज के नौतनवा विधानसभा कार्यालय पर लोगों ने जमकर खुशी मनाई। इस दौरान एक-दूसरे को मिठाई खिलाने के साथ ही आतिशबाजी भी की गई। कार्यकर्ताओं ने कहा कि पूर्वांचल का शेर आ रहा है। अब एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो जाएंगी।
दूसरी तरफ, मधुमिता की बहन निधि शुक्ला के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि मेरा दुर्भाग्य है, जो यूपी में मैंने जन्म लिया। अगर जिंदा बची, तो लड़ाई लड़ती रहूंगी। उन्होंने अमरमणि की रिहाई पर कई सवाल भी खड़े किए।
जेलर अस्पताल लेकर पहुंचे रिहाई का परवाना
अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई का परवाना शुक्रवार सुबह पहले जेल पहुंचा। फिर उसे लेकर जेलर अरुण कुमार खुद बीआरडी मेडिकल कॉलेज गए। इसके बाद दोनों को 25-25 लाख के मुचलके पर रिहा कर दिया गया। हालांकि रिहाई के बाद भी अभी पति-पत्नी अस्पताल में ही रहेंगे।
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इससे पहले शुक्रवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने UP सरकार को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते में जवाब मांगा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही परिसर में मधुमिता की बहन निधि शुक्ला फूट-फूटकर रोने लगीं। मधुमिता के घर के बाहर पुलिसकर्मी भी तैनात कर दिया गया।
जेल में नहीं, ज्यादातर वक्त मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहे अमरमणि
अमरमणि और उनकी पत्नी कहने को तो जेल में रहे, लेकिन उनका ज्यादातर वक्त गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीता। जब से सजा हुई दोनों ज्यादातर बीमार रहे। मधुमिता की बहन निधि का भी कहना है कि अमरमणि ने अपनी सजा का 60 फीसदी हिस्सा अस्पताल में गुजारा।
दरअसल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड की दूसरी मंजिल पर 32 कमरे हैं। इसमें ऊपरी हिस्से के 16 नंबर कमरे में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि एडमिट रहे हैं। वार्ड के सभी कमरों के ऊपर नंबर लिखा है। लेकिन कमरा नंबर 15 के बाद सीधे 17 नंबर का कमरा आ जाता है।
जिस कमरे में अमरमणि रहे हैं, उस पर 16 नंबर नहीं लिखा। यह कमरा सीढ़ियों से सटा है। कमरे के बाहर पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। इसके साथ ही अमरमणि के अपने आदमी भी रहते हैं। ये लोग किसी भी आने-जाने वाले पर निगाह रखते हैं। अमरमणि त्रिपाठी के मामले में जेल प्रशासन से लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन कुछ बोलने को तैयार नहीं होता था। सवाल करने पर कहा जाता था कि बिना ऊपर से आदेश के हम कोई जानकारी नहीं दे सकते।
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मधुमिता की बहन निधि बोलीं- 20 साल से दौड़ रहे, परेशान न हों तो क्या करें?
शुक्रवार को कोर्ट परिसर में जब निधि रोने लगीं, तो आसपास के लोगों ने उनको दिलासा देने की कोशिश की। इस पर निधि ने रोते हुए कहा कि 20 साल से दौड़ रहे थे। सीबीआई, सीबीसीआईडी, सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सब कुछ हो गया। आज तक न्याय नहीं मिला। कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी, लेकिन सरकार कभी भी अमरमणि को जेल ही नहीं भेज पाई।
उन्होंने कहा कि आरटीआई से जो मेरे पास कागज थे। दो महीने से सबको भेज रही हूं। चाहे मुख्यमंत्री हों, गवर्नर साहब हों, राष्ट्रपति हों। सबसे कहा कि यह आरटीआई के सरकारी कागज हैं। अमरमणि आपसे झूठ बोलता है। भ्रमित कर रहा है।