Rigveda Total Solar Eclipse : खगोल वैज्ञानिकों ने प्राचीन हिंदू ग्रंथ ऋग्वेद में लगभग 6,000 साल पहले पूर्ण सूर्यग्रहण का उल्लेख पाया है। यह खोज ग्रहण का सबसे पुराना ज्ञात उल्लेख है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के एस्टॉनोमर मयंक वाहिया और मित्सुरु सोमा ने ऋग्वेद में उल्लेखित 6000 साल पुराने सूर्य ग्रहण का उल्लेख ढूंढा है। खगोल वैज्ञानिकों ने प्राचीन हिंदू ग्रंथ ऋग्वेद में पूर्ण सूर्यग्रहण के सबसे पुराने ज्ञात संदर्भ की पहचान की है। इसमें 6000 साल पहले घटित हुए पूर्ण सूर्यग्रहण का ज़िक्र किया गया है।
पढ़ें :- 14 दिसंबर 2025 का राशिफलः बिगड़े हुए काम बनेंगे, निर्णय लेने में आएगी तेजी...जानिए क्या कहते हैं आपके सितारे?
लगभग 1500 ईसा पूर्व ऋग्वेद में ऐतिहासिक घटनाओं का अभिलेख है। इसी के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक विचारधाराओं से संबंधित कहानियों का भी संग्रह है। ऋग्वेद में लिखी घटनाएं अधिकांश उस समय की है जब यह ग्रंथ लिखा जा रहा था। उनमें से कुछ और भी पुरानी घटनाएं उल्लेखित है। इस ग्रंथ का अध्ययन इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए लंबे समय से किया जा रहा है। विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं से उत्पन्न इस प्राचीन ग्रंथ में खगोलीय घटनाओं के संदर्भ हैं।
मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के खगोलविद मयंक वाहिया और जापान की नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी के मित्सुरु सोमा का मानना है कि उन्होंने पाठ में एक प्राचीन सूर्य ग्रहण के संदर्भों की पहचान की है। जर्नल ऑफ एस्ट्रोनॉमिकल हिस्ट्री एंड हेरिटेज (Journal of Astronomical History and Heritage) में प्रकाशित उनके निष्कर्षों में उन अंशों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें सूर्य को अंधकार और उदासी से “छेदा” जाने का वर्णन किया गया है। ये वर्णन सूर्य ग्रहण के लिए आश्चर्यजनक रूप से उपयुक्त हैं।
पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ इन महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं की सापेक्ष स्थिति भी बदलती रहती है। वर्तमान में, वसंत विषुव+ मीन राशि में है , लेकिन यह 4500 ईसा पूर्व के आसपास ओरियन और 2230 ईसा पूर्व के आसपास प्लीएडेस पर था। इससे खगोलविदों के लिए उस समय अवधि का पता लगाना संभव हो जाता है जब यह घटना घटी थी।
ऋग्वेद में वसंत विषुव के दौरान विभिन्न अंशों में उगते हुए सूरज की पोजीशन के बारे में बताया गया है। इनमें से एक संदर्भ में यह बताया गया है कि यह सूर्य ग्रहण की घटना ओरियन में हुई थी जबकि दूसरे संदर्भ में यह कहा गया कि यह एलिड्स में हुई थी।
पढ़ें :- Saphala Ekadashi 2025 : सफला एकादशी पर भगवान विष्णु को लगाएं पंजीरी का भोग लगाएं , मनोकामनाएं होंगी पूर्ण
खगोलविदों के अनुसार, इस घटना के घटित होने की केवल दो संभावित तिथियां हैं – 22 अक्टूबर, 4202 ईसा पूर्व और 19 अक्टूबर, 3811 ईसा पूर्व। ये दोनों तिथियां सूर्य ग्रहण के सबसे पुराने ज्ञात अभिलेखों में उल्लिखित तिथियों से कहीं अधिक पुरानी हैं।