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डोनाल्ड ट्रंप को 48 घंटे में लाइन पर ले लाया रूस , पहले तोड़ी परमाणु संधि, अमेरिकी पनडुब्बी आई, तो तान दी मिसाइल

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन का युद्ध अब नए मोड़ पर आ गया है। ये युद्ध अब अमेरिका और रूस पर शिफ्ट होता जा रहा है। अमेरिका सीधे रूस को धमकी देने लगा है। उसका जवाब भी अब रूस की ओर से सीधा ट्रंप के लिए आ रहा है। अमेरिका अपने सुपरपावर होने की धौंस रूस और उसके सहयोगियों को दिखा रहा है, तो रूस भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। खुद को सीजफायर का बादशाह मानने वाले डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की हालत ऐसी हो गई है कि वो न तो रूस को धमकी से बात मनवा पा रहे हैं न ही प्यार से बात बन पा रही है।

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डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और रूस के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके दिमित्री मेदवेदेव (Dmitry Medvedev) के बीच सोशल मीडिया पर चल रहा वाकयुद्ध अब जमीन पर दिखने लगा है। अगर अमेरिका ने अपनी न्यूक्लियर सबमरीन को आगे करके रूस को संदेश दिया, तो रूस ने इसके बदले अपनी मिसाइलें तान दी हैं, जिसके बाद अमेरिका का रुख बदला-बदला नजर आ रहा है। कहां अल्टीमेटम दे रहे ट्रंप अब रूस में अपने करीबी दोस्त को डील करने के लिए भेज रहे हैं। इसकी पुष्टि रूस की ओर से भी की गई है।

रूस ने ऐलान किया है कि वह अब परमाणु हथियारों से जुड़ी पुरानी संधि (INF Treaty – Intermediate-Range Nuclear Forces Treaty) का पालन नहीं करने वाला है। वो अब छोटी और मध्यम दूरी की परमाणु मिसाइलों की तैनाती फिर से शुरू करेगा। रूस की ये घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति के उस कदम के तुरंत बाद सामने आई है, जब उन्होंने अमेरिका की दो न्यूक्लियर पनडुब्बियों को रणनीतिक इलाकों में तैनात करने का आदेश दिया था। इसके जवाब में रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव (Deputy Chairman of Security Council Dmitry Medvedev) ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे नाटो देशों की नीतियों के चलते इस पाबंदी को खत्म कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि आगे और भी ऐसे कदम उठाए जाएंगे।

अमेरिका के साथ न्यूक्लियर संधि तोड़ी

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रूस के विदेश मंत्रालय (Russian Foreign Ministry) की ओर से जारी किए गए बयान में ये भी कहा गया है कि रूस अब पहले से लगाए गए स्वैच्छिक प्रतिबंधों को नहीं मानेगा। वो अब INF संधि के दायरे में नहीं रहेगा और आगे के कदम के लिए वो स्वतंत्र है। रूस की ओर से आरोप लगाया गया है कि अमेरिका पहले ही यूरोप और एशिया में मध्यम दूरी की मिसाइलें तैनात कर चुका है। वहीं ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अक्सर ऐसे शब्द अनचाहे नतीजों की ओर ले जा सकते हैं।

क्या है INF संधि?

INF संधि अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ (Soviet Union) के बीच 1987 में साइन हुई थी। इसे अमेरिका के राष्ट्रपति रॉनल्ड रीगन (US President Ronald Reagan) और सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचोव (Soviet leader Mikhail Gorbachev) ने हस्ताक्षरित किया था। इस समझौते के तहत 500 से 5500 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली जमीनी मिसाइलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस संधि के तहत दोनों देशों ने 2600 से ज्यादा मिसाइलें नष्ट की थीं। रूस अब तक कहता रहा था कि जब तक अमेरिका अपनी मिसाइलें नहीं तैनात करता, तब तक वो भी ऐसा नहीं करेगा।

अमेरिका अपने मिडिल ईस्ट के दूत स्टीव विटकॉफ को भेज रहा है रूस के दौरे पर 

इस पूरे घटनाक्रम में दिलचस्प तो ये है कि दिमित्री मेदवेदेव (Dmitry Medvedev)  और डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)  के बीच सोशल मीडिया पर अच्छी-खासी बहसबाजी होने के बाद अमेरिका अपने मिडिल ईस्ट के दूत स्टीव विटकॉफ (Middle East envoy Steve Witkoff) को रूस के दौरे पर भेज रहा है। खुद डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने पत्रकारों से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की है और क्रेमलिन की ओर से भी कहा गया है कि अगले तीन दिनों में विटकॉफ रूस में होंगे और अमेरिका का पक्ष रखेंगे। आपको याद दिला दें कि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के रूस और यूक्रेन के बीच समझौते की समय सीमा घटाने के बाद दिमित्री मेदवेदेव (Dmitry Medvedev)  और ट्रंप के बीच सोशल मीडिया पर वाकयुद्ध छिड़ गया था। ट्रंप के अल्टीमेटम को उन्होंने युद्ध की ओर एक कदम बताया था। जिसके बाद भड़के ट्रंप ने एक के बाद एक पोस्ट के जरिये रूस के साथ-साथ भारत को भी टार्गेट करनी शुरू कर दिया।

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