नई दिल्ली। जीवन में तरक्की करना है तो 3 बातें सदैव स्मरण रखो। अनुशासन, परंपरा और परिवार। टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी विनोद कांबली ने तीनों ही नियमों का कभी पालन नहीं किया। कांबली ने निजी जीवन और प्रोफेशन दोनों में अनुशासनहीनता बरती। परिणामत: काम और सुखी जीवन दोनों जगह से विनोद कांबली ने हाथ धो दिया।
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जबकि विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) बचपन के वो दो दोस्त हैं ,जिनमें एक अर्श पर है तो दूसरा फर्श पर है। हाल ही में अब दोनों दोस्त की मुलाकात का एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दर्द, प्यार, दोस्ती, अधूरापन, भटकाव, सबक, किस्मत सब कुछ साफ नज़र आ रहा है। क्रिकेट जगत में कभी दोनों की दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं ,लेकिन आज भी नहीं बदला तो सचिन के लिए कांबली का प्यार । कभी बचपन के साथी सचिन और कांबली को भारतीय क्रिकेट का भविष्य कहा गया कांबली का टैलेंट इतना गज़ब था कि उन्हें सचिन से भी बेहतर कहा जाता था। लेकिन समय ने दोनों की राहें अलग कर दीं।
हाल ही में एक समारोह में दीन-हीन से दिख रहे विनोद कांबली ने सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को अपने पास बैठने का आग्रह किया, उनको देखते ही खुशी से उनका हाथ पकड़ लिया। मगर सचिन ने मुस्कुराते हुए हाथ छुड़ाया और उनसे कुछ दूरी पर बैठे लोगों के साथ जा कर बैठ गए। हो सकता है वजह कुछ और रही हो। मगर ये घटना एक कड़वी सच्चाई बयान करती है,लोग आपको नहीं आपके रुतबे और हैसियत को पूछते हैं।
बताते चलें कि सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने 22 साल कड़ी मेहनत करके खुद को दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट सुपर स्टार बनाया, जबकि कांबली अपनी चकाचौंध भरी लाइफ स्टाइल, शौहरत, लड़कियों के नशे में खो गए। अब कोई उनको काम नहीं देता। वो बेहद लाचारी में जीवन बिता रहे हैं। इसीलिए हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं, जवानी में मेहनत करो, नाम कमाओ, पैसा कमाओ। अपनी स्किल्स पर काम करो और वक़्त की कद्र करो, ताकि तुम्हारा बुढापा सचिन की तरह गुज़रे ,कांबली की तरह नहीं।