नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि सरकार की नीतियों और योजनाओं की न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का दायरा बहुत सीमित होता है। अदालतें सरकार को कोई नीति या योजना लागू करने का निर्देश नहीं दे सकती। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह अहम टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जनहित याचिका दायर कर मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को निर्देश दे कि देशभर में भुखमरी और कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए जगह-जगह सामुदायिक रसोई बनाई जाएं।
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याचिका में दावा किया गया है कि देश में हर दिन पांच साल से कम उम्र के कई बच्चों की भुखमरी और कुपोषण से मौत हो जाती है। यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन (Violation of Fundamental Rights) है। साथ ही ये भोजन के अधिकार का भी उल्लंघन है। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने ऐसा कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि भुखमरी और कुपोषण से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें पहले ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (National Food Security Act) और अन्य कल्याणकारी योजनाएं लागू कर चुकी हैं। पीठ ने कहा कि यह सर्वविदित है कि नीतिगत मामलों की न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का दायरा बहुत सीमित है। अदालतें किसी नीति या योजना की उपयुक्तता की जांच नहीं करती हैं और न ही कर सकती हैं। न ही अदालतें नीति के मामलों में कार्यपालिका की सलाहकार हैं। पीठ ने कहा कि नीतियां लागू करने का अधिकार कार्यपालिका के पास है।