नई दिल्ली। कथित शराब घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जो केस दर्ज किया है उसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें 5 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेज दिया है। गौरतलब है कि ईडी (ED) ने शराब घोटाला मामले (Liquor Scam Cases) में मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) की धाराओं में मामला दर्ज किया है।
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सिसोदिया ने कल जांच में सहयोग के नाम पर मांगी थी जमानत
आबकारी नीति (Excise Policy) से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने मंगलवार को जांच में सहयोग के नाम पर जमानत की मांग की थी। उन्होंने दलील दी कि उनका बेटा विदेश में पढ़ रहा है और पत्नी घर में अकेली और बीमार है। ऐसे में उसकी देखभाल के लिए उन्हें जमानत प्रदान की जाए। इधर, सीबीआई (CBI) ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सिसोदिया के पास 18 विभाग थे, उनकी सारी जानकारियां उनके पास हैं। ऐसे में उनको जमानत देना जांच प्रक्रिया को प्रभावित करेगा। राऊज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने दोनों पक्षों को लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 24 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है।
सिसोदिया ने अदालत से कहा कि उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया है और उनके पास से कोई आपत्तिजनक दस्तावेज नहीं मिले हैं। इस मामले के सभी आरोपी जमानत पर हैं। उन्हें भी जमानत पर रिहा कर दिया जाए। सिसोदिया ने धन शोधन के मामले में भी अपनी जमानत याचिका दाखिल कर दी है। अभी वे 22 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में हैं।
बुधवार को उन्हें अदालत में पेश किया जाना है। न्यायाधीश ने उस जमानत याचिका पर ईडी (ED) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और सुनवाई 25 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है। सिसोदिया की और से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने कहा कि इस मामले में अब कुछ नहीं है और उनके मुवक्किल के पास से कोई आपत्तिजनक दस्तावेज नहीं मिले हैं। साथ ही उनकी पत्नी बीमार है और बेटा भी विदेश में पढ़ रहा है। पत्नी की देखभाल के लिए घर पर कोई नहीं है।
सीबीआई (CBI) ने जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि उनके पास 18 मंत्रालय थे और उन्हें सभी के बारे में जानकारी थी। उसने कहा कि पहले की नीति बदली गई। कैबिनेट बैठक की नोटिंग वाली कोई फाइल नहीं है। सारी फाइलें गायब हैं। सीबीआई (CBI) ने कहा कि जब सरकार आबकारी नीति (Excise Policy) में बदलाव कर रही थी तो प्राइवेट पार्टी ने तीन बड़े कानूनविद पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, केजी बालाकृष्णन व पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सलाह ली थी।
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वे पहुंच वाले व्यक्ति हैं और जमानत मिलने के बाद साक्ष्य व जांच को प्रभावित कर सकते हैं। उनके फोन बार-बार बदलना साबित करता है कि उन्होंने साक्ष्य मिटाने की कोशिश की है। सिसोदिया के वकील ने कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ की अब आवश्यकता नहीं है। उनके विदेश भागने का भी कोई खतरा नहीं है। उनके मुवक्किल के खिलाफ रिश्वत लेने का भी कोई साक्ष्य नहीं है।