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तो क्या सानिया मिर्जा ने शोएब मलिक को छोड़ा? पिता इमरान मिर्जा का आया बड़ा बयान कहा- ये तलाक नहीं, ‘खुला’

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। पाक के पूर्व क्रिकेटर शोएब मलिक (Shoaib Malik) ने पाकिस्तानी अभिनेत्री सना जावेद (Pakistani Actress Sana Javed) को अपना नया जीवनसाथी चुना है। शोएब मलिक (Shoaib Malik) ने निकाह की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं। शोएब- सना ने एक निजी समारोह में निकाह किया। भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्जा (Sania Mirza)  और उनके पति शोएब मलिक (Shoaib Malik) के बीच पिछले कुछ दिनों से तलाक को लेकर कई अफवाहें सामने आई थीं।

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अब शोएब मलिक (Shoaib Malik) की तीसरी शादी से अफवाहों पर विराम लग गया है। शोएब मलिक की तीसरी शादी पर सानिया मिर्जा (Sania Mirza) के पिता इमरान मिर्जा (Imran Mirza) का रिएक्शन सामने आया है। सानिया के पिता इमरान मिर्जा (Imran Mirza) ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि यह एक खुला था इमरान मिर्जा (Imran Mirza) का ये रिएक्शन वायरल हो रहा है।

क्या होता है खुला?

बताते चलें कि तलाक और खुला में ज्यादा अंतर नहीं है। खुला’ के तहत एक मुस्लिम महिला को अपने पति को एकतरफा तलाक देने के अधिकार है। ‘खुला’ कि इच्छा सिर्फ बीवी ही रख सकती है। यही फैसला जब मर्द की तरफ से आए तो उसे तलाक कहते हैं। तलाक के बाद भी लगातार तीन महीनों तक औरत शौहर के घर में रहती है। ‘कुरान’ और ‘हदीस’ में भी इसका जिक्र है।

सानिया मिर्जा और शोएब मलिक (Shoaib Malik)  पिछले कुछ महीनों से एक दूसरे के साथ में नहीं दिखे थे। इस वजह से कई बार उनकी रिलेशनश‍िप को लेकर अफवाहें सामने आई थीं। शोएब और सानिया का पांच साल का एक बेटा भी है जो सानिया के साथ रहता है। शोएब ने सोशल मीडिया पर अपनी नई पत्नी के साथ तस्वीरें डाली हैं।

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मर्जी से तलाक लेने पर महिला को पति से क्यों नहीं मिलेगा गुजारा-भत्ता: केरल हाईकोर्ट 

अपनी मर्जी से तलाक लेने पर मुस्लिम महिला को पति से गुजारा-भत्ता पाने का हक क्यों नहीं है। इस पर केरल हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। एक मामले में सुनवाई के दौरान केरल हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि अगर कोई मुस्लिम महिला मर्जी से तलाक लेती है। तो वो पति से गुजारा-भत्ता पाने की हकदार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उसे गुजारा-भत्ता नहीं मिल सकता। अगर कोई मुस्लिम महिला अपनी सहमति और मर्जी से तलाक लेती है तो इसे इस्लामी प्रथा में खुला कहा जाता है। कोर्ट ने कहा कि अगर मुस्लिम महिला अपनी सहमति या मर्जी से पति को तलाक देती है या फिर किसी कारण से पति के साथ रहने से मना करती है या फिर सहमति से ही दोनों अलग-अलग रह रहे हों तो वो सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा-भत्ता पाने की हकदार नहीं है।

गुजारा-भत्ता पाने की हकदार क्यों नहीं?

हाईकोर्ट के जज जस्टिस ए. बदरूद्दीन ने कहा कि जब पत्नी ‘खुला’ के जरिए पति को तलाक दे रही है तो इसका मतलब वो उसके साथ रहने से मना कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर पत्नी ने ‘खुला’ के जरिए तलाक लिया है तो उसने अपनी इच्छा से पति के साथ रहने से इनकार कर दिया है, इसलिए सीआरपीसी की धारा 125(4) के तहत गुजारा-भत्ता पाने की हकदार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला दूसरी शादी करने तक पति से गुजारा-भत्ता की मांग कर सकती है, बशर्ते तलाक का कोई ठोस कारण हो।

अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125(4) के तहत कोई भी तलाकशुदा महिला पति से गुजारा-भत्ता पाने की हकदार नहीं है, अगर वो किसी और के साथ रह रही है या फिर बिना किसी कारण से पति से अलग रह रही है या फिर आपसी सहमति से अलग रहने का फैसला लिया हो। जस्टिस बदरूद्दीन ने कहा कि ‘खुला’ का मतलब भी यही हुआ कि पत्नी अपनी मर्जी से पति के साथ नहीं रहना चाहती है। लिहाजा वो गुजारा-भत्ता पाने की हकदार नहीं हो।

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