Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट की ‘सुप्रीम फटकार’ , कहा -जिसका घर तोड़ा उसे दें 25 लाख रुपए मुआवजा

योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट की ‘सुप्रीम फटकार’ , कहा -जिसका घर तोड़ा उसे दें 25 लाख रुपए मुआवजा

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) को बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) पर कड़ी फटकार लगाई है। बता दें कि मामला यूपी के महाराजगंज जिले का है, जहां सड़क चौड़ीकरण प्रोजेक्ट के लिए घरों को बुलडोजर के जरिए ध्वस्त किया गया था। इस मामले में मनोज टिबरेवाल आकाश की ओर से रिट याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि यूपी सरकार (UP Government) ने जिसका घर तोड़ा है उसे 25 लाख रुपए का मुआवजा दें।

पढ़ें :- अमेरिका में अडानी के ख़िलाफ़ जो मामला सामने आया वह बेहद ही आश्चर्यजनक, बीजेपी वाले इनके साथ ही हैं खड़े: संजय सिंह

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि आप कहते हैं कि वह 3.7 वर्गमीटर का अतिक्रमणकर्ता था। हम इसे सुन रहे हैं, लेकिन कोई प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं, पर आप क्या इस तरह लोगों के घरों को कैसे तोड़ना शुरू कर सकते हैं? यह अराजकता है, किसी के घर में घुसना।

उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से मनमानी है। उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया है? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था, आप केवल साइट पर गए थे और लोगों को सूचित किया था। हम इस मामले में दंडात्मक मुआवजा देने के इच्छुक हो सकते हैं। क्या इससे न्याय का उद्देश्य पूरा होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, कितने घर तोड़े?

याचिकाकर्ता के वकील ने मामले की जांच का आग्रह किया। सीजेआई (CJI) ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कितने घर तोड़े? राज्य के वकील ने कहा कि 123 अवैध निर्माण थे। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि आपके यह कहने का आधार क्या है कि यह अनाधिकृत था। आपने 1960 से क्या किया है, पिछले 50 साल से क्या कर रहे थे। बहुत अहंकारी, राज्य को एनएचआरसी (NHRC) के आदेशों का कुछ सम्मान करना होगा। आप चुपचाप बैठे हैं और एक अधिकारी के कार्यों की रक्षा कर रहे हैं।

पढ़ें :- करहल में युवती की हत्या पर केशव मौर्य ने अखिलेश यादव को घेरा, कहा-आपके गुंडों, माफियाओं और अपराधियों का सच उजागर हो चुका

सीजेआई (CJI) ने कहा कि वार्ड नंबर 16 मोहल्ला हामिदनगर में स्थित अपने पैतृक घर और दुकान के विध्वंस की शिकायत करते हुए मनोज टिबरेवाल द्वारा संबोधित पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया गया था। रिट याचिका पर नोटिस जारी किया गया था।

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने यूपी सरकार के वकील से कहा कि आपके अधिकारी ने पिछली रात सड़क चौड़ीकरण के लिए पीले निशान वाली जगह को तोड़ दिया। अगले दिन सुबह आप बुलडोजर लेकर आ गए। यह अधिग्रहण की तरह है। आप बुलडोजर लेकर नहीं आते और घर नहीं गिराते, आप परिवार को घर खाली करने का समय भी नहीं देते। चौड़ीकरण तो सिर्फ एक बहाना था, यह इस पूरी कवायद का कोई कारण नहीं लगता।

इस मामले में जांच करने की आवश्यकता : सुप्रीम कोर्ट

सीजेआई (CJI)  ने आदेश में कहा कि इस मामले में जांच करने की आवश्यकता है। यूपी राज्य ने एनएच (NH) की मूल चौड़ाई दर्शाने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है। दूसरा यह साबित करने के लिए कोई भौतिक दस्तावेज नहीं है कि अतिक्रमणों को चिह्नित करने के लिए कोई जांच की गई थी। तीसरा यह दिखाने के लिए बिल्कुल भी सामग्री नहीं है कि परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था।

राज्य सरकार अतिक्रमण की सटीक सीमा का खुलासा करने में विफल रहा है। अधिसूचित राजमार्ग की चौड़ाई और याचिकाकर्ता की संपत्ति की सीमा, जो अधिसूचित चौड़ाई में आती है। ऐसे में कथित अतिक्रमण के क्षेत्र से परे घर तोड़ने की जरूरत क्यों थी? एनएचआरसी (NHRC)  की रिपोर्ट बताती है कि तोड़ा गया हिस्सा 3.75 मीटर से कहीं अधिक था।

पढ़ें :- नकारात्मक भाजपा और उसकी निरंकुश सरकार की तानी हुई बंदूक़ भी पीडीए के लोगों का हैसला न तोड़ सकी : अखिलेश यादव
Advertisement