Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. Target Killings in Kashmir : कश्मीर में लौटा 1990 का दौर, हिंदू कर्मचारी बोले- पता नहीं कब कौन मार दे गोली

Target Killings in Kashmir : कश्मीर में लौटा 1990 का दौर, हिंदू कर्मचारी बोले- पता नहीं कब कौन मार दे गोली

By संतोष सिंह 
Updated Date

Target Killings in Kashmir : कश्मीर में आज एक और हिंदू कर्मचारी की हत्या हो गई। ये तब हुआ जब परसों ही यहां के एक स्कूल की टीचर को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था। लोग लेडी टीचर की हत्या से आक्रोशित थे। न्याय के लिए सड़कों पर थे कि आज बैंक मैनेजर विजय की हत्या की खबर आ गई।

पढ़ें :- कांग्रेस और TMC एक सिक्के के दो पहलू, बंगाल में एक दूसरे को देते हैं गाली और दिल्ली में निभाते हैं दोस्ती: पीएम मोदी

घाटी में टारगेट किलिंग का ये नया दौर है। इसने एक बार फिर से 1990 जैसे माहौल की याद दिला दी है। निशाने पर कश्मीर में बसने आ रहे कश्मीरी पंडित तो हैं ही, बाहरी मजदूर और वो सब हैं। जिन्हें आतंकी अपने दहशत भरे राज के लिए खतरा मानते हैं। यही वजह है कि 7 दिन पहले 25 मई को कश्मीरी एक्ट्रेस अमरीन भट्ट और 24 मई को पुलिसकर्मी सैफ कादरी की हत्या हो गई।

कश्मीर में पिछले साल 8 जून को सरपंच अजय पंडित की हत्या से टारगेट किलिंग का सिलसिला शुरू हुआ था। इसके बाद 5 अक्टूबर को श्रीनगर के केमिस्ट एमएल बिंद्रू की हत्या कर दहशत फैला दी गई। दो दिन के बाद ही यानी 7 अक्टूबर को आतंकियों ने एक स्कूल की प्रिंसिपल सतिंदर कौर और टीचर दीपक चंद की हत्या कर दी। मई में टारगेट किलिंग की 8 घटनाएं सामने आईं। रजनी बाला की हत्या से पहले 12 मई को आतंकियों ने बड़गाम में दफ्तर में घुसकर राजस्व अधिकारी राहुल भट्ट की हत्या कर दी थी। जाहिर है इससे सरकारी कर्मचारी डरे-सहमे हुए हैं।

जारी करना पड़ा हेल्पलाइन नंबर

घाटी में हालात बिगड़ते देख प्रशासन ने भी अल्पसंख्यकों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं जो हैं -0194-2506111, 2506112। इसके अलावा jk.minoritycell@gmail.com पर शिकायत करने की सुविधा दी गई है। बता दें कि सरकार लोगों में भरोसा बनाए रखने के लिए भले हर संभव उपाय कर रही हो, लेकिन जो डर कश्मीर में मौजूद हिंदुओं के दिल में बैठा है, उसे निकालने में ये काफी साबित नहीं हो रहे।

पढ़ें :- मोदी परिवारवाद चलाते है भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है मोदी परिवार-दिग्विजय सिंह

कुछ समाचार एजेंसियों ने दावा किया है कि कई कश्मीरी पंडित पलायन भी कर चुके हैं। परिवार समेत वे सुरक्षित स्थानों की ओर रवाना हो गए हैं। गुरुवार को एक और राजस्थान के रहने वाले हिंदू बैंककर्मी की हत्या से लोग और डर गए हैं। आलम ये है कि इस समय श्रीनगर एयरपोर्ट पर कश्मीर से जाने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी है। इससे पहले 1990 में जब पलायन हुआ तो लाखों कश्मीरी पंडित अपना सब कुछ छोड़ रातो-रात कश्मीर छोड़ने को मजबूर हो गए थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1990 में 44 हजार से भी ज्यादा परिवारों के 1 लाख 54 हजार 712 लोग पलायन कर जम्मू पहुंचे थे। गृह मंत्रालय के मुताबिक, 1989 के बाद घाटी में शुरू हुए आतंकवाद में 219 कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई थी।

अमित शाह कल सुरक्षा पर करेंगे बैठक

कश्मीर के मौजूदा हालात साफ इशारा करते हैं कि जो दिख रहा है, वैसा है नहीं। आतंकियों ने इन दिनों दहशतगर्दी के लिए जो पैंतरा अपना लिया है, वो बेहद चिंताजनक है। सख्ती के बाद भी टारगेट किलिंग रुक नहीं रही। इन्हीं सब का असर है कि कल 3 जून को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह एक हाई लेवल मीटिंग करने जा रहे हैं। परिस्थितियां कितनी संवेदनशील हो गईं हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऐसी हाई लेवल मीटिंग 15 दिन के भीतर दूसरी बार हो रही है। कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने दावा किया था कि अप्रैल के आखिर तक 150 से भी कम सक्रिय आतंकी जिंदा बचे हैं। साल के अंत तक ये संख्या 100 तक लाने का लक्ष्य है।

Advertisement