Teachers Day par nibandh: गुरुकुल की परंपरा का निर्वहन करने वाले भारत देश में गुरु-शिष्य के रिश्ते को बहुत ही पवित्र माना जाता है। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है, लेकिन जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं। सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। हमे जन्म माता-पिता से मिलता है लेकिन हमे जीवन में जीने की शिक्षा, कामयाब बनने की शिक्षा सिर्फ गुरु देता है। शिक्षक सिर्फ वही नहीं होता है जो हमे स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाये, शिक्षक वो भी है जो हमे जीवन जीने की कला सिखाता है।
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5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है
भारत में हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे यानी शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन हुआ था। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान व्यक्ति और कुशल शिक्षक थे। उनकी याद में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
तिरूतनी गांव में हुआ था जन्म
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को दक्षिण भारत के तिरूतनी नाम के एक गांव में हुआ था। उन्होंने दर्शन शास्त्र में एम.ए. की उपाधि ली थी और सन् 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हो गए थे।
भारतीय दर्शन शास्त्र परिषद् के अध्यक्ष भी रहे
राधाकृष्णन प्राध्यापक भी रहे। उन्होंने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित कराया। सारे विश्व में उनके लेखों की प्रशंसा की गई। वे भारतीय दर्शन शास्त्र परिषद् के अध्यक्ष भी रहे। वे पेरिस में यूनेस्को नामक संस्था की कार्यसमिति के अध्यक्ष भी बनाए गए।
भारत के राजदूत पद पर रहे
सन् 1949 से सन् 1952 तक डॉ. राधाकृष्णन रूस की राजधानी मास्को में भारत के राजदूत पद पर रहे। सन् 1952 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बनाए गए। इस महान दार्शनिक शिक्षाविद और लेखक को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने देश का सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न प्रदान किया।
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डॉ. राधाकृष्णन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने
13 मई, 1962 को डॉ. राधाकृष्णन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने। सन् 1967 तक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश की अमूल्य सेवा की। उन्होंने अपना जन्मदिवस शिक्षकों के लिए समर्पित किया। इसलिए 5 सितंबर भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस का इतिहास और महत्त्व
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 में देश के राष्ट्रपति बने थे। कुछ विद्यार्थियों ने 5 सितंबर को देशभर में उनका जन्मदिवस मनाने के लिए उनसे निवेदन किया। डॉ राधाकृष्णन ने अपने विद्यार्थियों का निवेदन तो स्वीकार किया। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उनके जन्मदिवस को देशभर में ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाना चाहिए। तब से लेकर आज तक 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।