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Terror funding case : कोर्ट में बहस के दौरान यासीन मलिक बिल्कुल शांत दिखा,बोला- मैंने देश के सात प्रधानमंत्रियों के साथ किया है काम

By संतोष सिंह 
Updated Date

Terror funding case : दिल्ली की पटियाला कोर्ट (Patiala Court) में सजा पर बहस के दौरान बुधवार को आतंक का आका यासीन मलिक (Yasin Malik)  बिल्कुल शांत दिखा। जब NIA ने कोर्ट से यासीन के लिए फांसी की सजा मांगी तो उसके चेहरे पर खौफ साफ नजर आ रहा था। इसके बाद कोर्ट ने यासीन मलिक (Yasin Malik) से अपना पक्ष रखने के लिए कहा। तो बताते हैं कि इस दौरान यासीन मलिक (Yasin Malik)  ने कोर्ट में क्या-क्या कहा?

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कोर्ट में NAI ने क्या दलील दी?

2017 में यासीन मलिक (Yasin Malik)  के खिलाफ NIA ने टेरर फंडिंग का मामला दर्ज किया। इसके बाद से पटियाला कोर्ट(Patiala Court)  में इस मामले की लगातार सुनवाई हो रही थी। कोर्ट में NIA ने सारे सबूत पेश किए। बताया कि देश में आतंकी घटनाओं को बढ़ावा देने के लिए यासीन मलिक के पास पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों से पैसा आता था। उन पैसों के जरिए देश में कई बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया।

NIA ने यासीन पर लगे एक-एक आरोपों के लिए सबूत पेश किए। जिसके बाद यासीन मलिक को अपने गुनाह कबूल करने पड़े। इसके बाद NIA ने यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की।

कोर्ट में क्या बोला यासीन मलिक?

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यासीन के वकील फरहान ने एक इंटरव्यू में बताया कि NIA की मांग के बाद कोर्ट ने यासीन मलिक को बोलने के लिए कहा। तब यासीन ने कहा कि मैं पिछले 28 साल से अहिंसा की राजनीतिक कर रहा हूं। इन 28 सालों में मैं किसी भी हिंसात्मक घटना में शामिल नहीं हुआ। NIA कोई भी एक ऐसी घटना बता दे, जिसमें मैं शामिल रहा हूं? मैंने देश के सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। गुजराल से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक इसमें शामिल हैं। अटल बिहारी वाजपेयी ने ही मुझे पासपोर्ट दिया था। इसके बाद मैं हार्वर्ड गया। मैं हार्वर्ड में भी भारत की तरफ से गया था। वहां मैंने लेक्चर दिया। अगर हिंसा करना ही मेरा काम होता तो मैं हार्वर्ड क्यों जाता? मेरी हमेशा से कोशिश रही कि मैं देश के प्रधानमंत्रियों के साथ मिलकर हालात को सही कर सकूं। मैं महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चल रहा हूं।

आगे यासीन ने कहा कि सजा पर मैं कुछ नहीं बोलूंगा। जब भी मुझे कहा गया मैंने आत्मसमर्पण किया। अब आपको (कोर्ट) जो भी सजा देनी है, दे दीजिए… मैं कुछ नहीं बोलूंगा। लेकिन ईमानदारी से दीजिएगा।

कोर्ट ने ठहराया है दोषी

कोर्ट ने आंतकी गतिविधियों के लिए फंड जुटाने का दोषी ठहराया था। इस मामले में NIA ने 2017 में एफआईआर दर्ज की थी। एक दर्जन से अधिक लोग आरोपी बनाए गए थे। 18 जनवरी 2018 को NIA ने कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी। NIA ने कोर्ट में कहा था, ‘लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने कश्मीर और देश में बड़े पैमाने पर हमले किए थे।’ कोर्ट में यासीन ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कबूल भी लिया था। उसने कहा था कि वह इसे चुनौती नहीं देगा।

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