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कोर्ट भवन न्याय का मंदिर होना चाहिए, न कि सात सितारा होटल- मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई

By Satish Singh 
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नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई (Chief Justice of India Bhushan Gavai) ने कहा कि कोर्ट का भवन लोकतांत्रिक मूल्यों (The court building is based on democratic values) और जनता की सेवा की भावना को दर्शाना चाहिए, न कि वैभव और विलासिता को नहीं। यह बात मुख्य न्यायाधीश ने मुंबई के बांद्रा में बन रहे बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के नए परिसर के भूमि पूजन के दौरान कही। उन्होने कहा कि कोर्ट का भवन न्याय का मंदिर हो न कि सात सितारा होटर।

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देश के मुख्य मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई (Chief Justice of India Bhushan Gavai) ने कहा कि मैंने कुछ जगहों पर पढ़ा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट का नया भवन अत्यधिक भव्य बनाया जा रहा है। भवन में दो न्यायाधीशों के लिए एक लिफ्ट रखी गई है। भवन बनाते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि न्यायाधीश अब सामंती युग (feudal era) के प्रभु नहीं हैं। चाहे कोई ट्रायल कोर्ट का हो, हाईकोर्ट का या सुप्रीम कोर्ट (Trial Court, High Court or Supreme Court) का हो। सभी कोर्ट संविधान के तहत जनता की सेवा के लिए नियुक्त हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका (Judiciary, Executive and Legislature) तीनों संस्थाएं संविधान के अधीन हैं और इनका मुख्य उद्देश्य देश के अंतिम नागरिक तक न्याय पहुंचाना है। उन्होने यह भी कहा कि अदालते सिर्फ न्यायाधीशों के लिए, बल्कि नागरिकों और वादकारियों की सुविधा के लिए होता है। पांच नवंबर को मुंबई के बांद्रा में बॉम्बे हाईकोर्ट को भूमि पूजन किया गया है। भूमि पूजन में मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई भी ​शामिल हुए थे।

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