केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) हाल ही में एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके तहत फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में पैसा लगाने वाले लोगों को 30 जून तक 15G और 15H फॉर्म जमा करना होगा. अगर कोई समय पर ऐसा नहीं कर पाता है तो बैंक उस पर पैसे काटने लगता है. कुछ लोगों में मन में सवाल होगा कि इन दो फॉर्म का एफडी से क्या संबंध है? तो जान लीजिए कि 15G और 15H फॉर्म का सीधा संबंध फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से होता है. इससे टीडीएस (Tax Deduction at Source) बचाने में मदद मिलती है. आज के समय में, आकर्षक ब्याज और रिटर्न के लिए लोग एफडी में निवेश करना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन एफडी पर मिलने वाले रिटर्न पर आपको टैक्स चुकाना होता है. केंद्रीय बैंक RBI ने टैक्स की एक थ्रेसहोल्ड लिमिट तय की है, जिसे क्रॉस करने पर TDS कटता है.
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कितनी होती है TDS की अपर लिमिट?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, TDS की थ्रेसहोल्ड लिमिट पहले 10 हजार रुपये थी, जिसे इस वित्तीय वर्ष के के बजट में बढ़ाकर 40 हजार कर दिया गया. बता दें कि ये लिमिट पोस्ट ऑफिस (Post Office) और बैंकों में डिपॉजिट के लिए है. अगर आप TDS से बचना चाहते हैं तो आपके लिए 15G और 15H फॉर्म भरना होता है. ये इनकम टैक्स का ही एक हिस्सा होता है.
फॉर्म के साथ पैन कार्ड अटैच करना न भूलें
इन दोनों की फॉर्म में आपकी कुछ बेसिक जानकारी पूछी जाती है, पहले उसे सावधानी से भर दें. फॉर्म भरने के बाद अब टैक्स डिक्लेरेशन के साथ अपने पैन कार्ड (Pan Card) की एक कॉपी इसके साथ अटैच कर दें. इसके बाद अपने फाइनेंशियर के पास इस फॉर्म को सब्मिट कर दें. ध्यान रहे कि ये दोनों फॉर्म सिर्फ एक साल के लिए वैध होते हैं. वर्ष की शुरुआत में ही ये फॉर्म आपके फाइनेंशियर के पास जमा होने चाहिए. फॉर्म भरने से पहले आप यह सुनिश्चत कर लें कि आपके फाइनेंशियर ने टैक्स की कटौती न की हो क्योंकि बैंक आपको रिफंड नहीं करेगा. बैंक से टीडीएस का पैसा वापस लेने के लिए आपको आईटीआर भरना होगा.