नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (President Donald Trump) भारत पर रूस से तेल खरीद बंद करने का दबाव डाल रहे हैं। ट्रम्प ने 22 अक्टूबर को दावा किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से बात की है। प्रधानमंत्री ने उनसे कहा है कि वे रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद कर देंगे।
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इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने अधिकारिक एक्स पोस्ट पर लिखा कि ट्रंप की धमकी के आगे एक बार फिर नरेंदर-सरेंडर हो गए हैं। ट्रंप ने आदेश दिया कि रूस से तेल खरीदना बंद करो, मोदी फटाफट आदेश का पालन करने में जुट गए। कांग्रेस पार्टी ने लिखा कि अब खबर है कि रिलायंस रूस से तेल खरीदना कम करेगा। रिलायंस रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदता था। ट्रंप पहले ही बता चुके हैं कि इस साल के अंत तक भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा।
एक बात साफ है कि नरेंद्र मोदी कमजोर प्रधानमंत्री हैं। यही वजह है कि भारत के फैसले अब ट्रंप ले रहे हैं। रूस भारत का पुराना सहयोगी रहा है और ट्रंप के दबाव में मोदी रूस से संबंध खराब कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने अपनी ‘पप्पी-झप्पी’ वाली विदेश नीति से देश का बहुत नुकसान किया है।
बता दें कि व्हाइट हाउस में बुधवार, 22 अक्टूबर को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रम्प ने 5वीं बार कहा था कि तेल खरीदना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे तुरंत रोकना संभव नहीं है, लेकिन साल के अंत तक वे इसे जीरो कर देंगे। मेरी प्रधानमंत्री मोदी से इस बारे में बातचीत हुई है। बता दें कि इससे पहले अगस्त में ट्रम्प ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगा दिया था। 27 अगस्त से भारत पर कुल 50 टैरिफ लग रहा है। इसमें 25 फीसदी रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25 फीसदी पैनल्टी है।
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भारतीय रिफाइनर्स रूसी तेल के आयात को कम कर सकते हैं। रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रिफाइनिंग कंपनी रिलायंस सरकार की गाइडलाइंस के हिसाब से अपनी रूसी तेल की खरीदारी एडजस्ट कर रही है। सरकारी कंपनियां भी शिपमेंट चेक कर रही है। सरकारी कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम भी अपने व्यापार दस्तावेजों की जांच कर रही हैं। वे नवंबर 21 के बाद आने वाले शिपमेंट्स के बिल चेक कर रही हैं, ताकि रोसनेफ्ट या लुकोइल से सीधी सप्लाई न हो। सरकार और स्थानीय रिफाइनर्स के बीच बातचीत से वाकिफ एक शख्स ने बताया कि भारत सरकार ने निजी तौर पर कंपनियों से रूसी तेल के आयात को कम करना शुरू करने को कहा है।
रूस-यूक्रेन जंग के बाद से भारत रूसी तेल खरीद रहा
बता दें कि 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद रूसी तेल सस्ता हो गया। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, और रूसी तेल ने इसकी जरूरतों को सस्ते में पूरा किया। लेकिन अब सेंक्शंस के कारण उसे रूसी तेल खरीद कम करनी पड़ सकती है। भारतीय सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 से देश ने लगभग 140 अरब डॉलर मूल्य का डिस्काउंटेड रूसी तेल खरीदा है। इसे रिलायंस और दूसरी कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल में प्रोसेस किया और घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा।