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उमेश पाल की पल-पल की हुई थी रेकी, हत्या वाले दिन लाइव सुन रहा था माफिया अतीक का बेटा असद

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) वाले दिन बाहुबली माफिया अतीक अहमद (Bahubali Mafia Ateeq Ahmed) के बेटे असद ने उमेश पाल (Umesh Pal)  की हर गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। असद पल-पल की जानकारी रेकी करने वालों ले रहा था, जिस दिन उमेश पाल (Umesh Pal) की हत्या होने वाली थीए रेकी करने वाले सुबह से ही एक्टिव थे। असद को उमेश के हर मूवमेंट की जानकारी दी जा रही थी। जब उमेश कचहरी से चला तो रेकी करने वालों की भी गाड़ी पीछे लग गई।

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उमेश पाल (Umesh Pal) की गाड़ी किस चौराहे से किधर मुड़ी, असद लाइव सुन रहा था। जिन लोगों को रेकी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसमें सबसे प्रमुख नाम धूमनगंज के नियाज अहमद (Niyaz Ahmed)का है। हत्या से कुछ दिन पहले असद ने नियाज अहमद (Niyaz Ahmed) की अतीक और अशरफ से मोबाइल फोन से बात कराई थी।

इसके बाद उमेश पाल (Umesh Pal) की हत्या से संबंधित चकिया स्थित अतीक के घर में जितनी बैठकें हुईं, नियाज सभी में शामिल हुआ। नियाज ने कचहरी से उमेश का पीछा किया। वह असद को बताता रहा कि उमेश की गाड़ी कहां पहुंची। किस तरफ मुड़ी। किस स्पीड से चल रही है। कौन-कौन गाड़ी में बैठा है। जयंतीपुर धूमनंगज का रहने वाला मो. सजर, उमेश पाल (Umesh Pal) का पड़ोसी है। असद ने उसे इसलिए चुना कि वह उमेश की हर गतिविधियों की जानकारी पहुंचाता रहे। इसके लिए असद ने उसे एक आईफोन दिया था। मो. सजर से कहा गया था कि वह सिर्फ इंटरनेट कालिंग के जरिए उमेश की गतिविधियों की जानकारी देगा।

सजर ने की थी उमेश की पूरी मुखबिरी

सजर प्रतिदिन बताता था कि उमेश किस समय निकला, उसके साथ कौन कौन था। किस समय वापस आया। हत्या वाले दिन भी सजर ने उमेश की पूरी मुखबिरी की थी।कटरा का रहने वाला अरशद कटरा, उमेश की हत्या संबंधित जो भी बैठकें अतीक के चकिया स्थित घर में होती थींए सभी में शामिल होता था। पुलिस कमिश्नर का कहना था कि अरशद कटरा की और भी भूमिका थीए जिसकी जांच की जा रही है।

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धूमनगंज का रहने वाला कैश अहमद 16 साल से अतीक अहमद के घर में ड्राइविंग करता है। हत्या के बाद असद और शाइस्ता ने गिरोह के असलहों और कैश को छिपाने की जिम्मेदारी दी थी।

अतीक के घर में पिछले 19 वर्षों से मुंशीगीरी करता था राकेश

कौशाम्बी के पश्चिम शरीरा का रहने वाला राकेश कुमार उर्फ लाला, अतीक के घर में पिछले 19 वर्षों से मुंशीगीरी करता था। अतीक का हिसाब किताब वही रखता था। हत्या के बाद शाइस्ता और असद ने राकेश को असलहा और कैश छिपाने की जिम्मेदारी दी थी। कैश और राकेश उर्फ लाला की निशानदेही पर ही अतीक के कार्यालय से नोटों, असलहों और कारतूसों का जखीरा पकड़ा था।

फोरेंसिक जांच के लिए भेजे जाएंगे बरामद असलहे

असलहों का प्रयोग कहीं उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) में तो नहीं किया गया, जबाव में पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner) का कहना था कि इसकी जांच की जा रही है। इन्हें फोरेंसिक जांच (Forensic Investigation)के लिए भेजा जाएगा। हत्याकांड में शूटरों ने पिस्टल, रायफल और बमों का प्रयोग किया था।

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